चिकन होगा मानव-युग का सबसे बड़ा सबूत

इंसान ने पृथ्वी को कैसे बदला, इसका सबसे बड़ा सबूत चिकन का स्रोत मुर्गा होगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

इंसान ने पृथ्वी को कैसे बदला, इसका सबसे बड़ा सबूत चिकन का स्रोत मुर्गा होगा. मुर्गा लाखों साल बाद इंसानी युग की कहानी सुनाएगा.आज से पांच लाख साल बाद कोई जब पृथ्वी पर रहने वाले अब के इंसानों के बारे में खोजेगा तो पाएगा कि पांच लाख साल पहले धरती पर कुछ बहुत बड़ा बदलाव आया था. और यह बदलाव उन्हें मुर्गों की हड्डियों में मिलेगा.

वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंच चुके हैं कि इंसानी गतिविधियों और बढ़ती भूख ने पृथ्वी की कुदरत को इस तरह बदल दिया है कि अब भोगौलिक रूप से हम उस युग में पहुंच गये हैं जिसे एंथ्रोपोसीन या मानव-युग कहा जा सकता है.

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20वीं सदी के मध्य में हुए इन्हीं बदलावों के सबूत कीचड़ और चट्टानों के रूप में जमा हो चुके हैं. यह वही वक्त था जबकि कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन तेजी से बढ़ा था. इन सबूतों में परमाणु बमों के परीक्षणों से निकले रेडिएक्टिव पदार्थ और माइक्रोप्लास्टिक जैसे तत्व भी मौजूद हैं.

सबसे बड़ा सबूत

इस बदलाव का सबसे बड़ा सबूत मुर्गे होंगे जो कई तरह से पृथ्वी पर इंसानी आधिपत्य की कहानी सुनाएंगे. सबसे अहम बात तो यह है कि ये मुर्गे इंसान की ईजाद हैं. 2017 में रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन की लेखिका कैरीज बेनेट कहती हैं, "मांस के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले आधुनिक मुर्गे अपने जंगली सहजातियों और पूर्वजों के जैसे बिल्कुल नहीं हैं. उनका शारीरिक आकार, कंकाल का रूप, हड्डियों की रसायनिकता और जीन्स सब अलग हैं.”

अन्य शब्दों में कहा जाए तो ये चिकन देने वाले मुर्गे इस बात का प्रमाण हैं कि मानव जाति ने कुदरत पर कब्जा कर लिया और तमाम कुदरती प्रक्रियाओं में दखलअंदाजी की.

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आधुनिक ब्रॉयलर चिकन का मूल दक्षिण पूर्व एशिया के जंगलों में हैं जहां इसके पूर्ववर्ती जंगलफ्लो मुर्गे को सबसे पहले आठ हजार साल पहले पालतू बनाया गया था. हालांकि मांस और अंडों के लिए ब्रॉयलर का इस्तेमाल लंबे समय से हो रहा है लेकिन बाजारों में जो चिकन मिलता है, वो इंजीनियरिंग के जरिये तैयार किया गया बहुत कम समय तक जीने वाला मुर्गा है. उसका इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध के बाद ही शुरू हुआ.

लीसेस्टर यूनिवर्सिटी में जीवविज्ञान के प्रोफेसर यान जालासीविच कहते हैं, "आमतौर पर विकास में करोड़ों साल लगते हैं कि लेकिन एक नया जानवर मात्र कुछ दशकों में तैयार हो गया.”

जहां इंसान, वहां चिकन

जालासीविच उस आधिकारिक एंथ्रोपोसीन वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष थे जिसने एक दशक के अध्ययन के बाद पिछले साल इस बात का ऐलान किया था कि 11,700 साल पहले हिम युग की समाप्ति के बाद शुरू हुआ युग 20वीं सदी के मध्य में खत्म हो गया और मानव-युग की आधिकारिक शुरुआत हुई.

इसका एक और सबूत यह है कि जहां भी इंसान मौजूद है, वहीं ब्रॉयलर मुर्गा मौजूद है. यूएन की फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक इस वक्त धरती पर लगभग 33 अरब मुर्गे मौजूद हैं. इन मुर्गों का कुल वजन दुनिया के तमाम जंगली पक्षियों के वजन का तीन गुना है.

हर रोज लगभग ढाई करोड़ मुर्गे काटे जाते हैं और दुनियाभर के तमाम तरह के खानों के रूप में खाये जाते हैं, चाहे वह पंजाब का चिकन टिक्का हो, जापान का योकीतोरी, सेनेगल का यासा या फिर मैक्डॉनल्ड्स के चिकन नगेट.

बेनेट कहती हैं, "चिकन इस बात का सबूत है कि कैसे हमारा बायोस्फीयर बदल गया है और अब मानव उपभोग और संसाधनों के इस्तेमाल से चलता है. दुनियाभर में जगह-जगह फैली चिकन की हड्डियां भविष्य में इस युग का सबसे बड़ा प्रतीक होंगी.”

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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