कोरोना संकट के बीच धरती की तरफ बढ़ रहा एक पिंड, नासा के वैज्ञानिकों ने कहा डरने की जरूरत नहीं
देश की सरकारे इस महामारी को रोकथाम के लिए दवा खोज रही हैं. लेकिन अब तक कोई दवा खोजी नहीं जा सकी हैं. इस बीच भारत के लिए बुरी खबर हैं. खबरों की माने तो आकाशगंगा में काफी हलचल हो रही है. इस कारण एक बहुत खगोलीय पिंड धरती के पास से गुजरने वाला है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है. इस महामारी से अमेरिका जैसे सुपर पावर देश परेशान हो गया है. वह इस महामारी से लड़ने को लेकर दूसरे देशों से मदद की गुहार लगा रहा है. वहीं कोविड-19 का असर भारत में भी देखा जा रहा है. हर देश की सरकारे इस महामारी को रोकथाम के लिए दवा खोज रही हैं. लेकिन अब तक कोई दवा खोजी नहीं जा सकी हैं. इस बीच लोगों के लिए बुरी खबर हैं. खबरों की माने तो आकाशगंगा में काफी हलचल हो रही है. इस कारण एक बहुत खगोलीय पिंड धरती के पास से गुजरने वाला है. यदि ऐसा हुआ तो कोरोना वायरस के इस संकट के बीच लोगों के लिए उससे बड़ा मुसीबत बन सकता है.
दरअसल इस तरह का दावा किया जा रहा है कि माउंट एवरेस्ट के आधे भाग जितना बड़ा एक पिंड धरती के पास से गुजरने वाला है. उसके गुजरने को लेकर समय भी दिया गया है. खबरों के अनुसार यह घटना 29 अप्रैल के दिन घटेगी. सुबह के 4.56 मिनट के करीब यह उल्का पिंड लगभग 31000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से पृथ्वी के समीप से गुजरेगी. इसका मतलब 8.72 किलोमीटर प्रति सेकेंड से वह गुजरेगा. इस दौरान यदि वह धरती से कही भी टकरा जाता है तो पृथ्वी पर बड़ी तबाही मच सकती हैं. यह भी पढ़े: Solar Eclipse 2019: आज है सूर्य ग्रहण! घातक हो सकती है लापरवाही! जानें क्या कहते हैं नासा के वैज्ञानिक
नासा ने क्या कहा:
इन दावों को लेकर नासा के वैज्ञानिकों की माने तो एक क्षुद्रग्रह जिसका नाम 52768-1998 OR2 रखा गया है. उसके बारे में कहा जा रहा है कि यह पिंड चालीस लाख किलोमीटर की दूरी से पृथ्वी के पास से गुजरेगा. वहीं नासा तरफ से कहा गया कि इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है. इससे पहले भी इस तरफ की खबर फैलाई गई थी कि उल्का पिंड धरती के पास से गुजरेगा और पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकता है. उस दौरान भी नासा ने साफ किया था कि इससे लोगों को डरने की जरूरत नहीं है.
जानें खगोलविद क्या कहते हैं
खगोलविद की मानी तो ऐसे उल्कापिंड की हर 100 साल में धरती से टकराने की पच्चास हजार संभावनाएं होती हैं. लेकिन ये किसी न किसी तरीके से धरती के पास से होकर गुजर जाता है. खगोलविद की तरफ से यह भी कहा गया कि छोटे उल्कापिंड कुछ मीटर के होते हैं और आमौतर पर वायुमंडल में आते ही जल जाते हैं. इनके आने जाने से किसी बड़े नुकसान होने का खतरा नहीं रहता है. इसलिए लोगों को डरने की जरूरत नहीं हैं.