तेजी से दुनिया में फैल रही है 14 साल पहले आई एक बीमारी

2009 से पहले कैंडिडा ऑरिस को इंसानों में देखा भी नहीं गया था और अब हर साल इसके हजारों मामले सामने आ रहे हैं, जिससे वैज्ञानिक चिंतित हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

2009 से पहले कैंडिडा ऑरिस को इंसानों में देखा भी नहीं गया था और अब हर साल इसके हजारों मामले सामने आ रहे हैं, जिससे वैज्ञानिक चिंतित हैं.2016 में न्यूयॉर्क के अस्पतालों में एक ऐसी बीमारी के मरीज एकाएक सामने आने लगे जो अमेरिका में पहले कभी नहीं देखी गयी थी. यह एक फंगल इंफेक्शन था, जिसे लेकर शोधकर्ताओं में खलबली फैल गयी. वे तुरत-फुरत में उसकी जड़ खोजने में जुट गये और तब पता चला कि वह इंफेक्शन 2013 से ही अमेरिका में मौजूद था. 2009 से पहले तो यह इंसानों में देखा तक नहीं गया था.

तब से न्यूयॉर्क को कैंडिडा ऑरिस नाम की इस बीमारी के लिए ग्राउंड जीरो के रूप में जाना जाता है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन के मुताबिक 2021 तक देश में सबसे ज्यादा रोगी न्यूयॉर्क में ही पाये गये, जबकि अन्य इलाकों में भी संक्रमण फैल रहा था.

बेहद खतरनाक

कैंडिडा ऑरिस एक खतरनाक बीमारी है जो दुनिया के कई हिस्सों में पायी जाती है. यह रोगी को बेहद बीमार कर सकती है. इसके कारण रक्त संचार और सांस के इंफेक्शन हो सकते हैं या घाव भी संक्रमित हो सकते हैं. इस बीमारी से ग्रस्त लोगों में 30 से 60 फीसदी तक की मौत हो सकती है. जिन लोगों में पहले से कोई गंभीर बीमारी है, उनके संक्रमित होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है.

पिछले साल कैंडिडा ऑरिस के सबसे ज्यादा मरीज अमेरिका के नेवादा और कैलिफॉर्निया में पाये गये लेकिन फंगस की मौजूदगी 29 राज्यों में थी. न्यूयॉर्क में अब भी काफी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. अब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह जलवायु परिवर्तन हो सकता है.

इंसान और अन्य स्तनधारी जीवों के शरीर का तापमान इतना होता है कि ज्यादातर फंगस उसे सहन नहीं कर सकते. इसलिए ऐतिहासिक रूप से स्तनधारी जीव फंगस संबंधी अधिकतर संक्रमणों से सुरक्षित माने जाते रहे हैं. लेकिन अब वैज्ञानिकों को लगता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान का असर फंगस पर हो रहा है और उनकी अधिक तापमान में भी सक्रिय रहने की संभावना बढ़ रही है. इस कारण इंसानों की प्रतिरोध क्षमता भी प्रभावित हो रही है. कुछ शोधकर्ताओं को आशंका है कि कैंडिडा ऑरिस के मामले में ऐसा ही हो रहा है.

सिर्फ 14 साल पहले आया

यह फंगल इंफेक्शन इंसानों में 14 साल पहले एकाएक उभरा और तीन महाद्वीपों में एक साथ पाया गया है. वेनेजुएला, भारत और दक्षिण अफ्रीका में इसके मामले मिले थे. जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और फंगस संक्रमण के जाने-माने विशेषज्ञ डॉ. आर्तुरो कासाडेवाल कहते हैं कि तीन अलग-अलग महाद्वीपों में इस संक्रमण का होना परेशान करने वाली बात है क्योंकि तीनों जगहों की जलवायु एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न है.

डॉ. कासाडेवाल कहते हैं, "अपने शरीर के तापमान के कारण हमें पर्यावरण में मौजूद फंगस से मजबूत सुरक्षा मिली हुई है. लेकिन दुनिया अगर गर्म हो रही है और फंगस उसके हिसाब से बदल रहा है तो उनमें से कुछ तो तापमान की उस बाधा को पार करने में भी कामयाब हो सकते हैं.”

सीडीसी में जीव विज्ञानी मेगन मैरी लाइमन कहती हैं कि जब कैंडिडा ऑरिस फैलना शुरू हुआ तो अमेरिका के शुरुआती मामलों में यह समझा गया था कि विदेशों से मरीजों को यह संक्रमण मिला होगा. लेकिन अब तो यह संक्रमण स्थानीय स्तर पर फैल रहा है और स्वस्थ लोगों को भी हो रहा है. अमेरिका में पिछले साल इस बीमारी के 2,377 मामले मिले थे, जो 2017 से 1,200 फीसदी ज्यादा हैं.

अब वैश्विक समस्या

हालांकि कैंडिडा ऑरिस अब एक वैश्विक समस्या बन रहा है. पिछले साल यूरोप में हुए एक सर्वे में पाया गया कि 2020 से 2021 के बीच ऐसे मामलों की संख्या दोगुनी हो गयी थी.

लाइमन कहती हैं, "मामले तो बढ़े ही हैं, इसका भोगौलिक विस्तार भी हुआ है. हालांकि निगरानी और सावधानी भी बढ़ी है लेकिन फिर भी तेजी से मामले बढ़ रहे हैं.”

मार्च में सीडीसी ने एक बयान जारी कर इस संक्रमण की गंभीरता के बारे में आगाह भी किया था. सीडीसी ने कहा था कि यह संक्रमण सामान्य फंगल इंफेक्शन के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले इलाज से ठीक नहीं होता और इसका प्रसार चिंताजनक स्तर पर हो रहा है. इसलिए सीडीसी ने अस्पतालों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी थी.

वीके/एए (एपी)

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