Meta's Mind Reading Wristband: बस सोचो और काम करेगा डिवाइस, जानें क्या है मेटा का माइंड रीडिंग रिस्टबैंड

टेक्नोलॉजी दिग्गज Meta ने एक ऐसा अनोखा रिस्टबैंड विकसित किया है जो आपके दिमाग की मंशा को पहचानकर कंप्यूटर, स्मार्टफोन जैसे डिवाइस को बिना छुए कंट्रोल करने में सक्षम है.

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क्या आपने कभी सोचा है कि सिर्फ सोचने से आप अपने फोन का ऐप खोल सकें या कोई मैसेज टाइप कर सकें? यह अब सिर्फ साइंस फिक्शन नहीं रहा. टेक्नोलॉजी दिग्गज Meta ने एक ऐसा अनोखा रिस्टबैंड विकसित किया है जो आपके दिमाग की मंशा को पहचानकर कंप्यूटर, स्मार्टफोन जैसे डिवाइस को बिना छुए कंट्रोल करने में सक्षम है. यह डिवाइस EMG (Electromyography) नामक तकनीक पर काम करता है, जो मांसपेशियों में जाने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नलों को पकड़ता है. जब आप उंगली या कलाई को हिलाने की सोचते हैं, तो यह रिस्टबैंड उस सोच को पहले ही पहचान लेता है और डिवाइस को निर्देश दे देता है बिना किसी शारीरिक गतिविधि के.

Meta ने करीब 10,000 लोगों से डेटा इकट्ठा कर इस सिस्टम को मशीन लर्निंग से ट्रेन किया है. इसका मतलब है कि कोई भी नया यूजर इसे पहनते ही इसका इस्तेमाल शुरू कर सकता है, बिना इसे अलग से सिखाने की जरूरत के. वैज्ञानिक पैट्रिक कैफॉश के अनुसार, "यह डिवाइस बिना पुराने डेटा के भी नए यूजर के साथ काम करने में सक्षम है."

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बस घड़ी की तरह पहनना है

इस रिस्टबैंड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह नॉन-इनवेसिव (non-invasive) है यानी इसे इस्तेमाल करने के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं. इसे बस घड़ी की तरह पहना जाता है, जिससे यह आम लोगों और दिव्यांगों दोनों के लिए सुरक्षित और आसान बनता है. कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक Spinal Cord Injury से पीड़ित लोगों पर इसका सफलतापूर्वक परीक्षण कर रहे हैं.

क्या यह दिमाग पढ़ता है?

Meta के थॉमस रीर्डन के मुताबिक, "ऐसा लगता है जैसे यह डिवाइस आपके दिमाग को पढ़ रहा है, लेकिन असल में यह आपकी मांसपेशियों के सिग्नल को पकड़कर सिर्फ आपकी 'मंशा' को समझता है."

Meta का यह रिस्टबैंड आने वाले वर्षों में तकनीक की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. यह न केवल यूजर्स के अनुभव को नया आयाम देगा, बल्कि विकलांग लोगों के लिए भी एक नई उम्मीद बन सकता है. अब तकनीक केवल हाथों की नहीं, सोच की ताकत से भी चलेगी.

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