Who Is Preethi Pal: जानें कौन हैं प्रीति पल? भारत की बेटी ने पेरिस में लहराया देश का तिरंगा, जन्म के 6 दिन बाद से ही जिंदगी से किया संघर्ष; ऐसे बनी एथलीट
भारत की प्रीति पाल ने रविवार को पेरिस खेलों में महिलाओं की टी35 200 मीटर प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर पैरालंपिक में अपना दूसरा पदक जीता. इसी के साथ प्रीति पैरालिंपिक या ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला ट्रैक और फील्ड एथलीट बन गईं है.
Who Is Preethi Pal: भारत की प्रीति पाल ने रविवार को पेरिस खेलों में महिलाओं की टी35 200 मीटर प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर पैरालंपिक में अपना दूसरा पदक जीता. इसी के साथ प्रीति पैरालिंपिक या ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला ट्रैक और फील्ड एथलीट बन गईं है. प्रीति पल ने इसे पहले 30 अगस्त को भारत के लिए पहला एथलेटिक्स पदक जीता, जब उन्होंने महिलाओं की टी35 100 मीटर प्रतियोगिता में 14.21 सेकंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ कांस्य पदक जीता. यह भी पढें: Preethi Pal Claims Bronze Medal: प्रीति पाल ने जीता एक और ब्रॉन्ज, भारत की झोली में आया छठा मेडल
कौन है प्रीति पल
प्रीति पाल का जन्म 22 सितंबर 2000 को मुजफ्फरनगर के उत्तर प्रदेश में एक किसान परिवार में हुआ था. उन्हें महत्वपूर्ण शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जब उनका जन्म हुआ. जन्म के 6 दिन बाद उनके निचले शरीर पर प्लास्टर लगाया गया था. कमजोर टांगों और पैरों की अनियमित मुद्रा के कारण उन्हें कई बीमारियों का खतरा था. अपने पैरों को मजबूत बनाने के लिए उन्होंने कई पारंपरिक उपचार भी करवाए.
पांच साल की उम्र में उन्होंने कैलीपर्स पहनना शुरू कर दिया और आठ साल तक इसे पहनती रहीं. कई लोगों को एक समय ऐसा भी लगा की उनका जीवित रहना मुश्किल है. लेकिन प्रीति एक लड़ाकू साबित हुई. उन्होंने जीवन की घातक परिस्थितियों पर काबू पाया और ताकत के साथ मौत की जंग से लड़कर जिंदगी में आगे बढ़ी और एक सच्चे फाइटर की मिशाल पेश की.
17 साल की उम्र से खेलों के प्रति बढ़ी रुची
कमजोर पैर के कारण प्रीति का जीवन में आगे बढ़ना इतना आसान नहीं था. हालांकि 17 साल की उम्र में प्रीति का नजरिया तब बदला जब उन्होंने सोशल मीडिया पर पेरिस खेलों को देखा. फिर वह प्रेरित हुई और उन्हें एहसास हुआ कि वह भी अपने सपनों को साकार कर सकती है. फिर प्रीति ने अपने में सुधार करने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर स्टेडियम में अभ्यास करना शुरू कर दिया. आर्थिक तंगी के के कारण उनके लिए परिवहन का खर्च उठाना मुश्किल हो गया. लेकिन प्रीती ने कभी हार नही मानी. उनका जीवन तब बदल गया जब उनकी मुलाकात पैरालंपिक एथलीट फातिमा खातून से हुई. फातिमा ने उन्हें पैरा-एथलेटिक्स से परिचित कराया.
फातिमा की मदद से प्रीति ने साल 2018 में स्टेट पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा की और कई राष्ट्रीय आयोजनों में हिस्सा लिया. प्रीती ने एशियन पैरा गेम्स 2022 में 100 मीटर और 200 मीटर स्प्रिंट्स में चौथा स्थान हासिल किया. हालांकि उनके हाथ कोई पदक नहीं लगा. लेकिन इसके बावजूद प्रीति ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ी. दिल्ली में कोच गजेंद्र सिंह के साथ उन्होंने प्रशिक्षण की शुरुआत की और अपनी दौड़ की तकनीक में सुधार किया. उनकी समर्पण और मेहनत ने उन्हें वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2024 के लिए सेलेक्ट होने में मदद की, जहां उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर इवेंट्स में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया.
प्रीती पाल की उपलब्धियाँ
वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप (2024) - 02 कांस्य पदक
एशियन पैरा गेम्स 2022 (2023) - चौथा स्थान
भारतीय ओपन पैरा एथलेटिक्स इंटरनेशनल चैंपियनशिप (2024) - 02 स्वर्ण पदक
राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप (2024) - 02 स्वर्ण पदक