पिता की शूटिंग रेंज पर प्रैक्टिस, एशियन चैंपियनशिप में इतिहास रच चुकीं कृषिका जोशी

पटियाला की धरती पर जन्मीं और पली-बढ़ीं कृषिका जोशी ने अपनी मेहनत, हौसले और जज्बे से इतिहास रच दिया है. कृषिका पंजाब की पहली बेटी बन गईं, जिसने एशियन चैंपियनशिप के शॉटगन इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया. कृषिका जोशी ने यह उपलब्धि 16वीं एशियन चैंपियनशिप 2025 में हासिल की, जो कजाकिस्तान में 16 अगस्त से 30 अगस्त तक आयोजित हुई थी.

पटियाला, 6 सितंबर : पटियाला की धरती पर जन्मीं और पली-बढ़ीं कृषिका जोशी ने अपनी मेहनत, हौसले और जज्बे से इतिहास रच दिया है. कृषिका पंजाब की पहली बेटी बन गईं, जिसने एशियन चैंपियनशिप के शॉटगन इवेंट में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया. कृषिका जोशी ने यह उपलब्धि 16वीं एशियन चैंपियनशिप 2025 में हासिल की, जो कजाकिस्तान में 16 अगस्त से 30 अगस्त तक आयोजित हुई थी. इस प्रतियोगिता में एशिया के कई देशों से निशानेबाजों ने हिस्सा लिया और कड़े मुकाबले के बीच कृषिका ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया सिल्वर मेडल जीतने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कृषिका जोशी ने कहा, "मैं बचपन से ही शूटिंग की प्रैक्टिस कर रही हूं. मुझे इस चैंपियनशिप के बारे में एक महीने पहले ही पता चला था. खराब मौसम के चलते प्रैक्टिस में दिक्कत आ रही थी, लेकिन मैंने अपना बेस्ट दिया और मेडल जीता."

उन्होंने कहा, "मुझे भारत और पंजाब की ओर से यह मौका मिलने पर गर्व है. मेरा अगला लक्ष्य ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है. मैं अपने माता-पिता की वजह से ही इस मुकाम तक पहुंच सकी हूं." कृषिका के पिता प्रवेश जोशी एक शूटिंग एकेडमी चलाते हैं. वही उनके कोच भी हैं, जो हर कदम पर बेटी का मार्गदर्शन करते हैं. प्रवेश जोशी ने कहा, "मुझे अपनी बेटी पर गर्व है, जिसने न सिर्फ हमारे परिवार, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है. यह हमारे लिए बड़ी खुशी और प्रेरणा का पल है." यह भी पढ़ें : IND vs JPN, Women’s Hockey Asia Cup 2025 Live Streaming: महिला हॉकी एशिया कप में जापान से भिड़ेगी टीम इंडिया, जानें कब कहां और कैसे देखें हॉकी मैच का लाइव प्रसारण

उन्होंने कहा, "हमारे शूटर्स बहुत प्रैक्टिस कर रहे हैं. कृषिका ने भी खूब प्रैक्टिस की और भगवान ने उनकी सुन ली. मेरी अपील है कि बच्चों को शूटिंग की प्रैक्टिस करनी चाहिए. इसे आप पढ़ाई के साथ जारी रख सकते हैं. आप रोजाना सिर्फ एक घंटे प्रैक्टिस करते हुए देश के लिए पदक जीत सकते हैं." कजाकिस्तान से मेडल जीतकर जब कृषिका अपने घर वापस लौटीं, तो करीबियों ने केक काटकर और मुंह मीठा करवाकर उनका स्वागत किया. कृषिका की इस उपलब्धि पर पूरे पटियाला में खुशी का माहौल है. खेल प्रेमियों ने कृषिका को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं. पटियाला की धरती ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यहां की बेटियां किसी से कम नहीं. कृषिका का यह कारनामा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा.

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