चेन्नई, 25 जनवरी: खेल के प्रति जुनूनी बच्चे के रूप में दुर्गा सिंह बिहार के गोपालगंज जिले के अपने सुदूर गांव बेलवा ठकुराई में खेतों के आसपास खुले स्थानों में दौड़ती थीं. कम खेल पृष्ठभूमि वाले क्षेत्र में दुर्गा के पिता शंभू शरण सिंह, एक गेहूं किसान व एकमात्र व्यक्ति थे जिन्होंने उन्हें खेल में अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. यह भी पढ़ें: Australia Open 2024: ऑस्ट्रेलियन ओपन पुरुष युगल के फाइनल में पहुंचे रोहन बोपन्ना-मैथ्यू एब्डेन, सेमीफाइनल में चीनी जोड़ी को दी मात
खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 4 मिनट 29.22 सेकंड के समय के साथ 1500 मीटर में खेलों के रिकॉर्ड को तोड़ने के बाद उत्साहित दुर्गा ने कहा, "मैंने बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया है. मेरे पिता के अलावा मेरे परिवार में खेल के प्रति कोई उत्सुकता नहीं थी. मेरे पिता हमेशा मुझे कहते थे, 'तुम जहां जाना चाहो जाओ, जो करना चाहो करो.' केवल उन्होंने मेरा समर्थन किया, इसीलिए मैं यहां हूं."
दसवीं कक्षा की छात्र ने पिछले साल कोयंबटूर में 38वीं जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 4 मिनट 38.29 सेकेंड का समय लेकर 1500 मीटर में स्वर्ण पदक जीता था.
पांच भाई-बहनों में से चौथी दुर्गा बचपन में कबड्डी और फुटबॉल भी खेलती थीं, लेकिन उनके हीरो धावक थे। वह पीटी उषा और यूसेन बोल्ट की इतनी प्रशंसक थीं कि उन्होंने अपने कमरे में उनकी तस्वीरें प्रिंट और फ्रेम करवा रखी थीं. उनकी प्रतिभा को उनके स्कूल में ही पहचान लिया गया था.
धीरे-धीरे, 17 वर्षीय इस स्टार को और भी अधिक नोटिस किया जाने लगा. उन्होंने कोच राकेश सिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेने के लिए पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का दौरा किया और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद पदकों के प्रति उनका नजरिया भी बदल गया।
दुर्गा ने कहा, "तब मुझे एहसास हुआ कि अगर आप पदक जीतते हैं तो आप अपना नाम बना सकते हैं। मैं और अधिक दृढ़ हो गयी और अधिक मेहनत करने लगी. अब मैं अपने देश को गौरवान्वित करना चाहती हूं।''