गोल्ड मेडल जीतने वाली हिमा दास की संघर्ष भरी कहानी जिसकी एक दौड़ ने रच दिया इतिहास, जानिए सफरनामा
हिमा दास (Photo Credit-Getty Images)

नई दिल्ली: देश की बेटी हिमा दास ने गुरुवार को फिनलैंड के टेम्पेरे में जारी आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप की महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण जीत कर इतिहास रचा है. उन्होंने वह कर दिखाया है जो अब तक कोई महिला एथलीट नहीं कर पाई थी। हिमा दास भारत की ओर से ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वालीं पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं. हिमा ने राटिना स्टेडियम में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए जीत हासिल की.

हिमा इसके साथ ही भाला फेंक के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा की सूची में शामिल हो गई जिन्होंने 2016 में पिछली प्रतियोगिता में विश्व रिकॉर्ड प्रयास के साथ स्वर्ण पदक जीता था. वह हालांकि इस प्रतियोगिता के इतिहास में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली ट्रैक खिलाड़ी हैं.

जानिए कौन हैं हिमा दास (Hima Das)?

बता दें कि हिमा दास असम के नगांव जिले के धिंग गांव की रहने वाली हैं. वह अभी सिर्फ 18 साल की हैं. हिमा एक साधारण किसान परिवार से आती हैं. उनके पिता चावल की खेती करते हैं. वह परिवार के 6 बच्चों में सबसे छोटी हैं. हिमा पहले लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं और एक स्ट्राइकर के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती थीं. उन्‍होंने 2 साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था.

हिमा के कोच निपोन दास का कहना है, 'एथलीट बनने के लिए हिमा को अपना परिवार छोड़कर लगभग 140 किलोमीटर दूर आकर रहना पड़ा था.'

गौरतलब है कि अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में हिमा दास (Hima Das) ने छठा स्थान हासिल किया था. 400 मीटर की दौड़ को पूरा करने के लिए उन्हें 51.32 सेकंड लगे थे.

इसके साथ ही हाल ही में गुवाहाटी में हुए नेशनल इंटरस्टेट चैंपियनशिप में अंडर 20 400 मीटर रेस को उन्होंने 51.13 सेकेंड में पूरा किया था.

पूरी दुनिया में देश का नाम ऊंचा करने वाली हिमा दास को हमारी ओर से ढेरों शुभकानाएं.