Sunil Chhetri Retirement: भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने किया संन्यास का ऐलान, 2005 में भारत के लिए किया था डेब्यू

महान खिलाड़ी सुनील छेत्री ने कुवैत के खिलाफ छह जून को फीफा विश्व कप क्वालीफाइंग मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कहने का फैसला लिया है, जिससे उनके लंबे और सुनहरे कैरियर पर विराम लग जायेगा

Sunil Chhetri (Photo Credit: Twitter/@chetrisunil11)

Sunil Chhetri Retirement: महान खिलाड़ी सुनील छेत्री ने कुवैत के खिलाफ छह जून को फीफा विश्व कप क्वालीफाइंग मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कहने का फैसला लिया है, जिससे उनके लंबे और सुनहरे कैरियर पर विराम लग जायेगा. भारतीय टीम के कप्तान छेत्री ने सोशल मीडिया पर डाले वीडियो के जरिये यह घोषणा की. 2005 में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में पदार्पण करने वाले छेत्री ने भारत के लिये 94 गोल किये हैं. उनके नाम भारत के लिये सबसे ज्यादा गोल और सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय मैच है.

सक्रिय फुटबॉल खिलाड़ियों में क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेस्सी के बाद उनके नाम सबसे ज्यादा गोल हैं. वह सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले खिलाड़ियों की सूची में चौथे स्थान पर हैं.

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39 वर्ष के छेत्री करीब दो दशक से भारतीय फुटबॉल को अपनी सेवायें दे रहे हैं. उनके योगदान को इससे आंका जा सकता है कि आज भी भारतीय टीम गोल के लिये पांच फुट सात इंच के इस फॉरवर्ड पर निर्भर करती है. छेत्री का आखिरी मैच कोलकाता के साल्टलेक स्टेडियम पर होगा. जिस शहर में उन्होंने इतना फुटबॉल खेला, वहीं से विदा लेने से बेहतर इस स्वर्णिम यात्रा की परिणिति नहीं हो सकती.

भारत इस समय चार अंक लेकर कतर के बाद ग्रुप ए में दूसरे स्थान पर है. छेत्री ने मार्च में 150वां अंतरराष्ट्रीय मैच खेला था और गुवाहाटी में अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में गोल भी किया था. भारत हालांकि वह मैच 1 . 2 से हार गया था. देश के सबसे उम्दा स्ट्राइकर में से एक बने छेत्री ने पाकिस्तान के खिलाफ 2005 में अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में पदार्पण मैच में गोल किया था.

उन्होंने कहा ,‘‘ उस दिन को मैं कभी नहीं भूल सकता. मुझे याद है जब मैं देश के लिये पहली बार खेला था. यह अविश्वसनीय था. एक दिन पहले सुबह भारतीय टीम के मेरे पहले कोच सुक्खी सर (सुखविंदर सिंह) मेरे पास आये और बोले कि तुम खेल रहे हो. मैं पता नहीं सकता कि कैसा महसूस हुआ था. मैने अपनी जर्सी ली, उस पर परफ्यूम छिड़का. पता नहीं क्यों, उस दिन जो कुछ भी हुआ , उनका मुझे यह बताना, नाश्ते से लंच तक, मेरा पहला गोल और 80वें मिनट में गोल गंवाना. वह दिन मैं कभी नहीं भूल सकता और राष्ट्रीय टीम के साथ मेरे सफर के सर्वश्रेष्ठ दिनों में से वह एक था .’’

भारतीय फुटबॉल के भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि अब देश को नौ नंबर की जर्सी के लिये अगला खिलाड़ी चुनना होगा. उनका मानना है कि टीम में फिलहाल ऐसे स्ट्राइकर की कमी है जो अपने क्लब के लिये मुख्य स्ट्राइकर के तौर पर खेलता हो.

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