नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा नियुक्त की गई प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय ने स्वीकार किया है कि हितों के टकाराव के मुद्दे पर बीसीसीआई लोकपाल-एथिक्स ऑफिसर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) डी.के.जैन और सीओए के अलग-अलग विचार हैं. जैन ने सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ियों को नोटिस भेजे थे जिसकी क्रिकेट बिरादरी में कई व्यक्तियों ने आलोचना की.
राय ने टाइम्स नाओ से बात करते हुए कहा, "जिस तरह से हितों के टकराव की व्याख्या की गई है, उससे सीओए में अंतर है. हमारे पास सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त लोकपाल है और उन्होंने इस पर विचार किया. यह बहुत ही न्यायसंगत था क्योंकि जिस तरह से उन्होंने व्याख्या की थी, उन्होंने इसे कानूनी रूप से सही देखा होगा. "
राय ने कहा, "यह हमें दिया गया था. हमने उनके सामने इस मुद्दे को उठाया कि हमें हितों के टकराव के मुद्दे पर कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है क्योंकि हम इसे उस तरह से नहीं देखते जिस तरह से इसकी व्याख्या की गई है. इसलिए, हमने इसपर उनका संज्ञान लिया और सुप्रीम कोर्ट गए. चाहे वह सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली या वीवीएस लक्ष्मण, यह एक आइकन होने का मुद्दा नहीं है. मुद्दा यह है कि खेल को एक निश्चित मात्रा में विश्वसनीयता के साथ खेला जाना चाहिए."
राय ने कहा कि बीसीसीआई के चुनाव 22 अक्टूबर को निर्धारित तिथि पर ही होंगे. साथ ही राय ने यह भी दावा किया कि बीसीसीआई को आईसीसी से मिलने वाले पैसे में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं हो रही है.