Sachin Tendulkar 50th Birthday: ICC विश्व कप 2011 जीत के साथ सचिन का लम्बा इंतजार खत्म हुआ, पढ़े मास्टर ब्लास्टर का वर्ल्ड कप की ट्रॉफी तक का सफ़र
वह 2003 में दक्षिण अफ्रीका में हुए विश्व कप में ट्रॉफी पर हाथ लगाने के करीब आ गए थे. जहां वह 11 मैचों में 673 रन के साथ शीर्ष स्कोरर थे और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने थे। हालांकि भारत फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया था.
नई दिल्ली, 22 अप्रैल (आईएएनएस)। 2011 वनडे विश्व कप को लीजेंड सचिन तेंदुलकर के लिए प्रतिष्ठा पाने का आखिरी मौका माना गया था. सचिन ने भारत की इंग्लैंड में 1983 की विश्व कप जीत को टीवी पर एक बच्चे के रूप में देखा था और जब भारत और पाकिस्तान ने 1987 में विश्व कप की संयुक्त रूप से मेजबानी की तो वह बॉल ब्वाय की भूमिका में थे। एक खिलाड़ी के रूप में वह 1992 से हर विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा थे लेकिन विश्व कप उनसे दूर ही रहा. यह भी पढ़ें: पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने किया बड़ा खुलासा कहा, मुझे अब भी आश्चर्य है कि सचिन ने विश्वकप 2003 के दौरान नेट्स पर नहीं की थी बल्लेबाजी
वह 2003 में दक्षिण अफ्रीका में हुए विश्व कप में ट्रॉफी पर हाथ लगाने के करीब आ गए थे. जहां वह 11 मैचों में 673 रन के साथ शीर्ष स्कोरर थे और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बने थे। हालांकि भारत फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया था.
लेकिन 2011 में भारत ने श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ संयुक्त रूप से विश्व कप आयोजित किया. इस बात की प्रबल संभावना थी कि भारत सचिन के लिए ट्रॉफी जीते जो विश्व टूर्नामेंट के लिए उनका आखिरी मौका होगा.
अनुभवी बल्लेबाजी लाइन अप के सबसे सीनियर सदस्य के रूप में सचिन ने इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक बनाये. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टरफाइनल में 53 रन बनाये और मोहाली में पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में 85 रन बनाये जिसके लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला.
अपने गृहनगर मुम्बई के वानखेड़े स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ खिताबी मुकाबले में सचिन मात्र 18 रन ही बना पाए लेकिन गौतम गंभीर और कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की दो बेहतरीन पारियों ने सचिन का विश्व विजेता बनने का सपना पूरा कर दिया.
युवराज सिंह ने प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार लिया जबकि सचिन श्रीलंका के तिलकरत्ने दिलशान (500) के बाद 482 रनों के साथ दूसरे शीर्ष स्कोरर रहे.
विश्व कप जीतने के बाद सचिन को साथी खिलाड़ियों ने कंधों पर उठाकर मैदान का चक्कर लगाया. टीम के नए सदस्य विराट कोहली ने कहा, "सचिन ने 21 वर्षों तक देश का बोझ अपने कंधों पर ढोया है। अब समय है कि हम उन्हें कंधों पर लेकर चलें."
बाद में युवराज ने कहा कि एक खास व्यक्ति जिसके लिए वह विश्व कप जीतना चाहते थे वह सचिन हैं.
विश्व जीत पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक 30 मिनट के विशेष रेडियो शो में सचिन ने कहा, "एक युवा लड़के के रूप में मैंने विश्व कप जीतने का सपना देखा था और अब इसे जीतने के बाद मेरे पास कुछ कहने के लिए शब्द नहीं हैं. यह मेरे करियर का सर्वश्रेष्ठ क्षण है. मैंने 21 साल इसके लिए इंतजार किया. यह कुछ खास है."
उन्होंने कहा, "यह मेरा छठा विश्व कप है. हम एक बार सेमीफाइनल में हारे और एक बार फाइनल में। यह दिल तोड़ने वाला था. लेकिन आपको कभी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए. यह मेरा सबसे बड़ा सपना था, मैंने इसका पीछा किया और यह सच हो गया."
सचिन को 2011 तक विश्व कप ट्रॉफी को हाथों में उठाने के लिए इंतजार करना पड़ा जिससे पता चलता है कि वह इसके लिए तैयार थे.