Sachin Tendulkar 50th Birthday: बैटमैन फॉरएवर लीजेंड सचिन तेंदुलकर को खेलते हुए देखकर बड़े होना तीन दशक के जनरेशन का सौभाग्य
मैं आठवीं कक्षा में था जब मैंने पहली बार सचिन तेंदुलकर को कोलकाता में नवम्बर 1991 में खेलते हुए देखा. दक्षिण अफ्रीका रंगभेद की नीति के कारण खेल से 1970 में निलंबित होने के बाद अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल रहा था और ईडन गार्डन प्रशंसकों से खचाखच भरा हुआ था और हमारा रोमांच चरम पर था.
नई दिल्ली, 22 अप्रैल: मैं आठवीं कक्षा में था जब मैंने पहली बार सचिन तेंदुलकर को कोलकाता में नवम्बर 1991 में खेलते हुए देखा. दक्षिण अफ्रीका रंगभेद की नीति के कारण खेल से 1970 में निलंबित होने के बाद अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल रहा था और ईडन गार्डन प्रशंसकों से खचाखच भरा हुआ था और हमारा रोमांच चरम पर था. सचिन तब तक स्टार बन चुके थे. 177 के मामूली लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत 60 रन पर चार विकेट गंवाकर संकट में था. एलेन डोनाल्ड ने अपनी बिजली की गति से भारत के शीर्ष क्रम को उखाड़ दिया था. यह भी पढ़ें: Sachin Tendulkar Career: भरपूर प्रतिभा, कड़ी मेहनत की, जानें कैसे कैसे बने क्रिकेट के भगवान
लेकिन इस पतन के बीच सचिन डटे रहे और अपने स्कूल साथी प्रवीण आमरे के साथ भारत को आसान जीत दिला दी. सचिन की 62 रन की पारी मुझे ताउम्र सचिन का फैन बनाने के लिए पर्याप्त थी. वह सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज थे जो मैंने तब तक देखे थे और मेरी यह सोच 22 साल बाद भी कायम रही जब मास्टर ब्लास्टर ने अपना 200वां मैच खेलने के बाद नवम्बर 2013 में खेल को अलविदा कह दिया.
सचिन को आखिरी बार बल्लेबाजी करते देखना एक भावुक क्षण था. यह अविश्वसनीय था कि 24 साल के बाद भी सचिन अपना सिर सीधा रखकर खेल रहे थे. एक खूबसूरत संतुलन था और बल्ला मिडल स्टंप के ऊपर से आ रहा था. क्लास हमेशा स्थायी है
यह हम थे जिन्होंने सचिन को भगवान के बाद रखा. सवाल के घेरे में जो व्यक्ति था वह घंटे के बाद घंटे, दिन के बाद दिन और वर्ष के बाद वर्ष बल्लेबाजी करते रहा. बल्लेबाजी के प्रति उनका बचपन का प्रेम हर बल्लेबाजी रिकॉर्ड तोड़ता गया. एक अनुमान बताता है कि सचिन ने अपने जीवन के लगभग पांच वर्ष मैदान पर गुजारे। वह सोमवार को 50 साल के हो जाएंगे.
इतने लम्बे समय तक एक जूनून के साथ खेलने की सराहना की जानी चाहिए. सचिन का वानखेड़े में 2013 में संन्यास लेना उन लोगों को निराश कर गया जो यह मानते हैं कि संख्या मायने रखती है। लेकिन सच्चे क्रिकेट प्रेमी के लिए उस टेस्ट में सचिन के बल्ले से निकला हर शॉट एक जश्न था.
देश ने हर उस समय का जश्न मनाया जब मास्टर ब्लास्टर अपने स्ट्रेट ड्राइव खेलते थे, लेट कट लगाते थे बैकफुट पंच से ऑफ साइड क्षेत्ररक्षण को चीर देते थे. लोग कहते हैं कि वह भारत के लिए बहुत कम मैच जीतते थे लेकिन आंकड़े कुछ और ही तस्वीर दिखाते हैं। सचिन ने अपने 49 वनडे शतकों में से 33 जीत में बनाये हैं. जीत में कम से कम 5000 रन बनाने वालों में केवल ब्रायन लारा और विवियन रिचर्डस का औसत ऊपर है.
सचिन की दुनिया में जो प्रतिष्ठा है, वह जबरदस्त है. 1992 में क्रिकेटर एवं स्तम्भकार पीटर रीबॉक ने सचिन को पर्थ में हरी पिच, जो दुनिया में सबसे तेज और उछाल वाली पिच मानी जाती है , पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार शतक लगाते देखा.
रीबॉक ने लिखा, "कई बार वहां रहना ही सुखद है. पर्थ एक ऐसा ही मौका था. सचिन को दो घंटे बल्लेबाजी करते देखना ऐसा था मानो एक नीरस दुनिया से एक ऐसी जादूभरी दुनिया में ट्रांसफर हो जाना जहां एक 18 साल का लड़का ऐसे बल्लेबाजी कर रहा था जो एक आदमी ने कभी न की हो. ''
एलेन डोनाल्ड ने बहुत सही कहा,''मैंने सीखा है कि आप तेंदुलकर को कभी स्लेज मत करो। उन्हें कुछ कहना उन्हें और बेहतर बनाता है." 50वां जन्मदिन मुबारक हो चैम्प.