
Joe Root Milestone: इंग्लैंड राष्ट्रीय क्रिकेट टीम(England National Cricket Team) के पूर्व कप्तान जो रूट टेस्ट क्रिकेट में अपने करियर के सबसे सुनहरे दौर से गुजर रहे हैं. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) की शुरुआत से लेकर अब तक रूट ने जबरदस्त निरंतरता के साथ बल्लेबाज़ी करते हुए 5543 रन बनाए हैं, जिसमें 18 शानदार शतक शामिल हैं. अब उनकी निगाहें इतिहास रचने पर टिकी हैं. वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बनने की दिशा में मज़बूती से बढ़ रहे हैं. जो रूट ने अब तक 152 टेस्ट मैचों में 12,972 रन बना लिए हैं. वह अब टेस्ट क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज़ों में शुमार सचिन तेंदुलकर के 15,921 रनों से केवल 2949 रन पीछे हैं. अगर रूट अपने मौजूदा फॉर्म को बरकरार रखते हैं, तो अगले दो वर्षों में यह कीर्तिमान उनके नाम हो सकता है. इस दिन से लॉर्ड्स में खेला जाएगा ऑस्ट्रेलिया बनाम दक्षिण अफ्रीका वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल, यहां देखें दोनों टीमों की संभावित प्लेइंग इलेवन
13,000 रन पूरा करने से सिर्फ 28 रन दूर
जो रूट 22 मई से ट्रेंट ब्रिज (नॉटिंघम) में ज़िम्बाब्वे के खिलाफ चार दिवसीय टेस्ट मैच खेलेंगे. इस मुकाबले में उन्हें केवल 28 रनों की जरूरत है, और यदि वह यह स्कोर बना लेते हैं, तो वह टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज़ 13,000 रन पूरे करने वाले खिलाड़ी बन जाएंगे. वह भी सबसे कम टेस्ट मैचों (155 से कम) में. अभी तक यह रिकॉर्ड दक्षिण अफ्रीका के जैक्स कैलिस के नाम है, जिन्होंने 159 टेस्ट में यह आंकड़ा पार किया था.
कितनी पारियों में 13,000 रन?
इस उपलब्धि को हासिल करने में सबसे कम पारियों का रिकॉर्ड अभी तक सचिन तेंदुलकर के नाम है, जिन्होंने 266 पारियों में 13,000 रन बनाए थे. यदि रूट यह रन अपनी अगली पहली पारी में बना लेते हैं, तो वह 279 पारियों में इस मुकाम तक पहुंचेंगे और सूची में पांचवें स्थान पर होंगे. उनके आगे होंगे. तेंदुलकर (266), कैलिस (269), रिकी पोंटिंग (275), और राहुल द्रविड़ (277).
क्या जो रूट तोड़ पाएंगे तेंदुलकर का शतकों का रिकॉर्ड?
भले ही रन के मामले में तेंदुलकर का रिकॉर्ड रूट की पहुंच में दिख रहा हो, लेकिन शतकों का आंकड़ा छूना उतना आसान नहीं होगा. जो रूट के नाम अभी तक 36 टेस्ट शतक हैं, जबकि तेंदुलकर ने 51 टेस्ट शतक बनाए थे. यानी रूट को इस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए और 16 शतक की दरकार है. टेस्ट क्रिकेट में शतक बनाना एक बड़ी चुनौती होता है और इसे लगातार दो-तीन वर्षों तक बनाए रखना आसान नहीं होता, फिर भी रूट ने जो लय हासिल की है, अगर वह उसे बरकरार रखते हैं तो यह नामुमकिन भी नहीं लगता.