Commonwealth Games 2022: गोल्ड जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे: बॉक्सर संजीत कुमार
आगामी राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) में भारत के लिए पदक की संभावनाओं में से एक मुक्केबाज संजीत कुमार का कहना है कि उन्हें न तो रिंग में और न ही जीवन में हारना पसंद है. 2021 एशियाई चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता राष्ट्रमंडल खेलों 2022 में अपनी उपलब्धि का अनुकरण करने में कोई कसर नहीं रखेंगे...
नई दिल्ली, 24 जुलाई: आगामी राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) में भारत के लिए पदक की संभावनाओं में से एक मुक्केबाज संजीत कुमार का कहना है कि उन्हें न तो रिंग में और न ही जीवन में हारना पसंद है. 2021 एशियाई चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता राष्ट्रमंडल खेलों 2022 में अपनी उपलब्धि का अनुकरण करने में कोई कसर नहीं रखेंगे. आईएएनएस से बातचीत में 2018 में 91 किग्रा में रजत पदक विजेता रहे संजीत ने कहा, "मैं हारना नहीं चाहता, मुझे बस हारने से नफरत है. इसलिए अगर मैं सभी मैच जीत जाता हूं तो मुझे गोल्ड मिलेगा. मैं स्वर्ण जीतने की पूरी कोशिश करूंगा." यह भी पढ़ें: World Athletics Championships: मेडल जितने पर बोले नीरज चोपड़ा- हवा के चलते हुई परेशानी, GOLD की भूख बनी रहेगी...
जब संजीत पिछले साल दुबई में एशियाई चैंपियनशिप के लिए जा रहे थे, तो कई लोगों ने उसे पदक दिलाने के लिए समर्थन नहीं किया. लेकिन उन्होंने गोल्ड जीतकर कई लोगों को गलत साबित किया. यह पूछे जाने पर कि उनके लिए एशियाई चैंपियनशिप के स्वर्ण का क्या अर्थ है, उन्होंने कहा, "यह मेरे जीवन के सबसे गौरवपूर्ण क्षणों में से एक था. मैंने मुक्केबाज को हराया था, जिन्होंने मुझे नॉकआउट किया. उसे हराकर गोल्ड जीतना मेरे लिए खुशी की बात थी. 2018 में जब उसने मुझे नॉकआउट किया तो मैंने बदला लेने का फैसला किया था. मैंने खूब मेहनत की, अपनी कमियों को सुधारा और फिर नतीजा सबके सामने है. मैं हार को बहुत गंभीरता से लेता हूं."
उनके जीवन का सबसे दुखद क्षण तब आया जब 33 वर्षीय टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहे. विश्व सैन्य खेलों के दौरान उन्हें चोट लग गई थी. फिर महामारी ने उन्हें टोक्यो खेलों से बाहर कर दिया. अब उनकी नजर पेरिस गेम्स पर है.
उन्होंने आगे कहा, "अंतिम लक्ष्य पेरिस खेलों में पदक जीतना है. राष्ट्रमंडल खेल और अन्य कार्यक्रम वहां तक पहुंचने के लिए सीढ़ी की तरह हैं. ओलंपिक पूरी तरह से अलग है. हर कोई मेडल जीतना चाहता है. किसी अन्य प्रतियोगिता में कोई भी पदक टोक्यो में भाग नहीं लेने के नुकसान की भावना को पूरा नहीं कर सकता है."
भारतीय सेना में सूबेदार के पास खुद को प्रेरित रखने के अलग-अलग तरीके हैं. वह प्रेरक पुस्तकों, विशेष रूप से एथलीटों की आत्मकथाओं के उत्साही पाठक हैं. उन्होंने कहा, "मोटिवेशनल किताबें पढ़ना मेरा पसंदीदा शौक है. मैंने महान एथलीटों की आत्मकथाएं और खेल से जुड़ी किताबें पढ़ीं, जो हमें प्रेरित करती हैं."