हमारे संस्कृत ग्रंथों में एक श्लोक है
आत्मार्थम् जीव लोके अस्मिन्, को न जीवति मानवः |
परम् परोपकारार्थम्, यो जीवति स जीवति ||
अर्थात अपने लिए हर कोई जीता है. लेकिन वास्तव में वही व्यक्ति जीता है, जो परोपकार के लिए जीता है : प्रधानमंत्री @narendramodi #MannKiBaat@mannkibaat pic.twitter.com/NpJBEdfos6— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) July 25, 2021
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