छह साल तक सहमति से बनाए गए यौन संबंधों के बाद अंतरंगता खत्म होने का मतलब यह नहीं हो सकता कि यह धारा 375 [बलात्कार] का घटक बन जाएगा. न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने इस प्रकार एक महिला द्वारा अपने लिव-इन पार्टनर के खिलाफ दर्ज बलात्कार के मामले को रद्द कर दिया, जिससे उसने फेसबुक पर दोस्ती की थी. “वे पहले दिन से सहमति से किए गए कार्य थे और 27-12-2019 तक सहमति से किए गए कार्य थे. यह अवधि छह लंबे वर्षों की है. इसलिए, यह नहीं माना जा सकता कि यह आईपीसी की धारा 376 के तहत दंडनीय होने के लिए बलात्कार नहीं होगा. यदि आगे की कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी गई जैसा कि ऊपर बताया गया है, तो यह इस मुद्दे पर शीर्ष न्यायालय द्वारा दिए गए कई निर्णयों का उल्लंघन होगा.'

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