बीजेपी के CAA सपोर्ट वाले नंबर 8866288662 पर मिल रहा Free Netflix सब्सक्रिप्शन से लेकर हॉट चैट तक का ऑफर? जाने पूरा सच

देश की सत्ता में काबिज पार्टी ने लोगों से आह्वान किया कि वे सीएए (नागरिकता कानून) पर नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन जताने के लिए अपने मोबाइल से 8866288662 पर मिस कॉल दें.

सीएए पर समर्थन जुटाने के लिए बीजेपी का टोलफ्री नंबर (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: हाल ही में बीजेपी (BJP) ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ और समर्थन में चल रहे प्रदर्शनों के बीच समर्थन जुटाने के मकसद से एक टोल-फ्री नंबर जारी किया था. देश की सत्ता में काबिज पार्टी ने लोगों से आह्वान किया कि वे सीएए (नागरिकता कानून) पर नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन जताने के लिए अपने मोबाइल से 8866288662 पर मिस कॉल दें. हालांकि, अब सोशल मीडिया पर इस नंबर का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है. इस नंबर के साथ कई फेक ऑफर्स दिए जा रहे है. इसमें फ्री नेटफ्लिक्स सब्सक्रिप्शन से लेकर लड़कियों के साथ हॉट चैट तक कराने का दावा किया गया है.

सोशल नेटवर्किंग साईट ट्विटर पर ऐसे फर्जी दावों की भरमार है. जिसमें बीजेपी के सीएए सपोर्ट वाले नंबर पर कॉल करने पर विभिन्न सेवाएं मिलने की झूठी बात कही गई है. कुछ लोग नेटफ्लिक्स का मुफ्त में सब्सक्रिप्शन, मुफ्त मोबाइल डेटा और लड़कियों के साथ हॉट चैट जैसे ऑफर्स की पेशकश कर रहे है. इस तरह की सैकड़ों ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. कुछ पोस्ट ऐसे भी है जो लोगों को 8866288662 नंबर पर जानीमानी हस्तियों से बात करवाने, नौकरी दिलवाने की भी पेशकश कर रहे हैं.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने की मिस्ड कॉल देने की अपील-

बीजेपी के टोल-फ्री नंबर 88662-88662 के साथ किए गए भ्रामक ट्वीट-

15 लाख मिलने की झूठी बात-

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से देश में नागरिकता कानून को लेकर मचे बवाल के बाद बीजेपी ने इस कानून के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए 8866288662 टोल फ्री नंबर लॉन्च किया. इसके जरिए बीजेपी सीएए पर देशभर में विरोध प्रदर्शनों का जवाब देने की तैयारी में है. साथ ही बीजेपी नागरिकता कानून पर लोगों से संपर्क करने और इस कानून के बारे में उन्हें पूरी जानकारी देने के लिए पांच जनवरी से जनसंपर्क अभियान भी शुरू करने जा रही है. यह अभियान 10 दिनों तक चलेगा, जिसमें पार्टी के नेता और कार्यकर्ता आम लोगों से संपर्क करेंगे.

उल्लेखनीय है कि नया नागरिकता कानून उन छह गैर-मुस्लिम समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई प्रवासियों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए हैं. मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, प्रवासियों को भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकरण सहित अन्य सभी शर्तों को पूरा करना होगा.

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