Elon Musk Unveils Pig With Computer Chip In Brain: अरबपति उद्यमी एलन मस्क (Billionaire entrepreneur Elon Musk) के न्यूरोसाइंस स्टार्टअप न्यूरालिंक (Neuroscience Startup Neuralink) ने एक ऐसे सूअर का प्रदर्शन किया है, जिसके दिमाग में एक कंप्यूटर चिप लगी (Pig with Computer Chip in Brain) हुई है. न्यूरालिंक इंसानी दिमाग पर रिसर्च कर रहा है और इसके लिए करीब दो महीने के लिए सूअर के दिमाग में सिक्के जितनी कंप्यूटर चिप (Coin Sized Computer Chip) लगी हुई है. इससे इंसानों में होने वाली बीमारी के इलाज को बेहतर दिशा देने में मदद मिलेगी. सूअर के दिमाग में कंप्यूटर चिप लगाकर इसके जरिए इंसानों में होने वाली कुछ दिमागी बीमारियों के इलाज को लेकर एक तरह का ट्रायल किया जा रहा है.
मस्क ने तीन सूअरों का अनावरण किया, जिनके सहयोग में रूचि के स्तर अलग थे. उनमें से गर्ट्रूड (Gertrude) नाम के एक सूअर से वास्तविक समय के तंत्रिका संकेतों को दिखाया गया. साल 2016 में लॉन्च किए गए इस स्टार्टअप ने कहा कि कंपनी छोटे लचीले थ्रेड्स डिजाइन कर रहा है, जो मस्तिष्क की चोटों और आघात के उपचार के लक्ष्य के साथ मानव बाल की तुलना में 10 गुना पतले हैं. बताया जा रहा है कि 87 फीसदी सफलता दर वाले रोबोट के साथ कम से कम 19 अलग-अलग जानवरों पर इसका परीक्षण किया गया है.
एक वेबकास्ट में एलन मस्क ने डिप्रेशन, मेमरी लॉस, इंसोमेनिया जैसी बीमारियों का जिक्र करते हुए कहा कि सूअर के दिमाग में लगाया गया यह डिवाइस असल में इन समस्याओं को हल करने में मददगार साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि उनकी स्टार्टअप कंपनी न्यूरालिंक का मकसद इंसानों के दिमाग में एक तरह का वायरलेस कंप्यूटर स्थापित करना है, जिससे इंसानों को अल्जाइमर, डिमेंशिया, रीढ़ की हड्डी में लगी चोट जैसी कई बीमारियों से लड़ने में मदद मिलेगी. यह भी पढ़ें: एलन मस्क का 2050 तक 10 लाख लोगों को मंगल पर भेजने की योजना
लिंक्डिन के आंकड़ों के मुताबिक न्यूरालिंक को 158 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है, जिनमें से 100 मिलियन डॉलर मस्क ने दिए हैं. पिछले साल जुलाई महीने में न्यूरालिंक ने कहा था कि कंपनी साल 2019 के आखिर तक अपने डिवाइस को मानव परीक्षण के लिए इस्तेमाल करना चाहती है. एलन मस्क की मानें तो इंसान के भविष्य की रक्षा करने में इंप्लांट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के रूप में मददगार होगा. न्यूरालिंक के सेंसर का आकार करीब 8 मिलीमीटर है, जो इंसान के मस्तिष्क में आसानी से फिट बैठेगा.
मस्क का कहना है कि रोबोट की मदद से इंसान के बाल से भी छोटे तार की मदद से इस सेंसर को इंसान के दिमाग में इंप्लांट किया जा सकता है और इसे आसानी से हटाया भी जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि न्यूरालिंक का मकसद इंसान के दिमाग को पढ़ना और इंसानों के दिमाग में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखना है. गौरतलब है कि वर्तमान में इस तरह की रिसर्च जानवरों पर हो रही है.