रिटायर्ड आईपीएस आधिकारी ने स्वामी अग्निवेश की मृत्यु पर लिखी घृणित पोस्ट, इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने सुनाई खरी खोटी

एन नागेश्वर राव याद हैं आपको? जिन्हें नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अक्टूबर 2018 में भारत की संघीय जांच एजेंसी CBI के अंतरिम प्रमुख (Interim Head) के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी राव को ट्वीटर पर लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.

रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ने लिखी घृणित पोस्ट (फोटो क्रेडिट्स: ट्विटर)

एन नागेश्वर राव (N Nageswara Rao) याद हैं आपको? जिन्हें नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा अक्टूबर 2018 में भारत की संघीय जांच एजेंसी CBI के अंतरिम प्रमुख (Interim Head) के रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी राव को ट्वीटर पर लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. राव ने जाने माने सामजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की मौत के बारे में अपने ट्विटर अकाउंट पर एक ट्वीट किया,' इस ट्वीट में उन्होंने लिखा,' अच्छा हुआ स्वामी अग्निवेश से छुटकारा मिल गया, 'आप भगवे वस्त्र में एक हिंदू विरोधी थे. आपने हिंदू धर्म का बहुत नुकसान किया है. मुझे शर्म आती है कि आप एक तेलुगु ब्राह्मण के रूप में पैदा हुए. उन्होंने स्वामी अग्निवेश को शेर की खाल में भेड़ कहा. आखिर में उन्होंने लिखा, 'यमराज के से मेरी शिकायत है कि उन्होंने इस बात का लंबा इंतजार क्यों किया! यह भी पढ़ें: Swami Agnivesh Died: स्वामी अग्निवेश का 80 साल की उम्र में निधन, ILBS अस्पताल में ली आखिरी सांस

इस ट्वीट के बाद से सोशल मीडिया पर नागेश्वर राव की आलोचना की जा रही है. इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने उनके खिलाफ एक ट्वीट किया, इसमें लिखा गया कि एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी रह चुके होने के बाद भी आपने इस तरह के घृणा भरे मैसेज लिखे, इस मैसेज से आपने पुलिस की वर्दी को नीचा दिखाया है. इस वर्दी को पहनकर आपने सरकार को शर्मिंदा किया है. आपने पूरी पुलिस फ़ोर्स को नीचा दिखाया, विशेषकर युवा अधिकारियों का मनोबल गिराया. '

देखें ट्वीट:

लोगों ने भी की जमकर आलोचना:

हेट वायरस:

ये ट्वीट रिटायर्ड ऑफिसर ने एनआईए की पोस्ट पर तब की जब एजेंसी ने उनकी मृत्यु की जानकारी दी.

यूजर ने की निंदा:

एक यूजर ने दिमाग का इलाज कराने के लिए कहा:

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव को अदालत की अवमानना का दोषी माना था. अदालत राव को एक दिन के जेल की सजा सुनाई थी. यानी उन्होंने राव को तब तक कोर्ट के एक कोने में बैठे रहने की सजा सुनाई थी जब तक कोर्ट खुल न जाए. उन पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था. शीर्ष अदालत ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में क्रूरता की जांच कर रहे एक महत्वपूर्ण सीबीआई अधिकारी का सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन के बाद भी तबादला करना भारी पड़ गया.

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