World Earth Day-2020: जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत? पृथ्वी-संरक्षा में आप भी बनें भागीदार!

‘अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस’ पर हर देश में पर्यावरण एवं पृथ्वी संरक्षण का संकल्प लिया जाता है. इसे प्रोत्साहित करने के लिए हर वर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है और उसके अनुसार पूरे साल कार्य सम्पन्न किया जाता है.

विश्व पृथ्वी दिवस (Photo Credits: Pixabay)

 22 अप्रैल 1970, को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस मनाया गया था, लेकिन इसकी शुरुआत एक बेहद दर्दनाक कहानी से हुई थी. दरअसल 1969 में सांता बारबराकैलिफोर्निया में तीस लाख गैलेन तेल के रिसाव से 10 हजार सी-बर्ड्स, डॉल्फिन मछलियांसील इत्यादि समुद्री जीव मारे गये थे. इन समुद्री जीवों की मृत्यु से द्रवित होकर एक अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने पर्यावरण संरक्षण पर एक क्रांतिकारी कदम उठाने का फैसला किया. उनके आह्वान पर 22 अप्रैल 1970 को लगभग करोड़ से ज्यादा अमेरिकियों जिसमें हजारों कालेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं, अध्यापकों आदि ने पर्यावरण को ध्यान में रखकर प्रदूषण के विरुद्ध प्रदर्शन किया. पृथ्वी पर इससे पहले पर्यावरण को लेकर इतना बड़ा आयोजन कभी नहीं हुआ था. मकसद एक अच्छे कार्य को लेकर था, लिहाजा सारे देशों से अच्छा प्रतिसाद मिला. आज हम ‘ अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस की स्वर्ण जयंती मना रहे हैं. आइये जानें पृथ्वी की सुरक्षा कर किस तरह हम अपनी ही सुरक्षा एवं संरक्षा करते हैं.

आइये पृथ्वी-सुरक्षा के लिए संकल्प लें

प्रत्येक व्यक्ति को इस दिन एक वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए. घर से बाहर आयें और पेड़ों पर पक्षियों के लिए घोसले बनायें, उऩके घोसलों को तोड़ें नहींलोगों को प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने के लिए प्रेरित करेंबरसात का पानी व्यर्थ  जाये इसके लिए वॉटर संरक्षण करें तथा प्रत्येक व्यक्ति अपने घर के बाहर जमीन में गड्ढे खोदकर बरसाती पानी को संरक्षित कर, पृथ्वी की नमी बरकरार रखने में सहयोगी बनें. जगह-जगह डिबेटपरिचर्चापेंटिंग्ससंगीत जैसे प्रोग्रामों के जरिये लोगों को जागृत करें कि आप कैसे पृथ्वी पर हरियाली बनाये रखने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. ऊर्जा संरक्षणों को बढ़ावा देंअज्ञानियों एवं अनभिज्ञों को पृथ्वी के महत्व के बारे में बताएं. उन्हें बतायें कि पृथ्वी जब तक सुरक्षित है, तभी तक आप भी सुरक्षित रह सकते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस पर हर वर्ष एक थीम

अंतर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस’ पर हर देश में पर्यावरण एवं पृथ्वी संरक्षण का संकल्प लिया जाता है. इसे प्रोत्साहित करने के लिए हर वर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है और उसके अनुसार पूरे साल कार्य सम्पन्न किया जाता है. जैसे गत वर्ष प्रजाति बचाओ’ (Protect the Species) के तहत खत्म होती पशु-पक्षियों एवं कुछ दुर्लभ जड़ी-बूटियों युक्त पेड़ों के संरक्षण का संकल्प लिया जाता है. साल 2018 में प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने, 2017 में पर्यावरण एवं जलवायु साक्षरता, एवं साल 2016 में धरती के लिये पेड़ का थीम रखा गया था.

इन महत्वपूर्ण तथ्यों को नजरंदाज न करें

पृथ्वी को प्रदूषित करने और जल-जंतुओं को असामियक मृत्यु के मुंह में धकेलने में प्लास्टिक की अहम भूमिका रही है. दुर्भाग्यवश तमाम चेतावनियों एवं प्रतिबंधों के बावजूद आज भी विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 10 करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन किया जा रहा है. अगर पृथ्वी के संरक्षण को लेकर हम तनिक भी गंभीर हैं तो इसके उत्पादन से लेकर इसके उपयोग तक पर प्रतिबंध लगाना होगा.

ग्लोबल वार्मिंग (पृथ्वी पर निरंतर बढ़ता तापक्रम) को पृथ्वी का सबसे बड़ा खतरा माना जाता है. इसका मुख्य कारण ग्रीन हाउस गैसों (नाइट्रस आक्साइडमीथेनक्लोरो-फ्लोरो कार्बन इत्यादि) के स्तर में वृद्धि है. जिस पर समय रहते अंकुश लगाकर ही पृथ्वी को संरक्षित किया जा सकता है.

* औद्योगीकरण के पश्चात कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले 25 सालों में कई गुना बढ़ा है. इन गैसों का उत्सर्जन हमारे द्वारा लगातार प्रयोग किये जाने वाले फ्रिजकंप्यूटरस्कूटरकार इत्यादि से होता है.

* पिछले कुछ अर्सा से अनियमित होते मौसम के कारण पर्यावरण पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. परिणामस्वरूप संपूर्ण विश्व में गर्मियां लंबी हो रही हैं तो सर्दी छोटी. इसका बुरा असर जीव-जंतुओं एवं मानव जीवन से लेकर फसलों समेत पूरी प्रकृति पर पड़ रहा है. मौसम में संतुलन लाने के हर संभव प्रयास हमें करने होंगे.

तमाम प्रतिबंधों और कानून बनने के बावजूद हमारे देश में वृक्षारोपण पर कम ध्यान दिया जा रहा है, और वनों की कटाई जारी है. उधर नदी एवं तालाब के प्रदूषित करने का सिलसिला थम नहीं रहा है. इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति की सहभागिता जरूरी है.

 

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