World Diabetes Day 2022: 14 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है विश्व मधुमेह दिवस? जानें इसका इतिहास, कारण, लक्षण एवं निवारण!

वर्तमान दौर में डायबिटीज (मधुमेह) तमाम बीमारियों का कारक माना जाता है. इस पर नियंत्रण पाने के लिए जागरूकता की आवश्यकता के साथ-साथ, रहन-सहन, खान-पान आदि पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है.

World Diabetes Day 2022 (Photo Credits: File Photo)

वर्तमान दौर में डायबिटीज (मधुमेह) तमाम बीमारियों का कारक माना जाता है. इस पर नियंत्रण पाने के लिए जागरूकता की आवश्यकता के साथ-साथ, रहन-सहन, खान-पान आदि पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सहयोग से प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) मनाया जाता है. आइये जानते हैं इस आम बीमारी के बारे में विस्तार से...

मधुमेह दिवस का इतिहास

मधुमेह से उत्पन्न सेहत संबंधी खतरों के लगातार बढ़ते ग्राफ को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साल 1991 में अंतरराष्ट्रीय मधुमेह दिवस मनाने की घोषणा की थी. साल 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ के सहयोग एवं समर्थन से आधिकारिक रूप से पूरे विश्व में 14 नवंबर को मधुमेह दिवस मनाने की शुरुआत हुई. अब प्रश्न उठता है कि विश्व मधुमेह दिवस 14 नवंबर के दिन ही क्यों मनाया जाता है. दरअसल इसी दिन फ्रेडरिक बैटिंग का जन्म हुआ था. फ्रेडरिक बैटिंग ने साल 1922 में चाल्स बैट के साथ मिलकर इंसुलिन का आविष्कार किया था. इस तरह फ्रेडरिक को सम्मानित करने के उद्देश्य से उनके जन्म दिन को मधुमेह दिवस के रूप में समर्पित किया गया. यह भी पढ़ें : Saubhagya Sundari Teej Vrat: अखंड सौभाग्य के लिए सुहागन स्त्रियां इस दिन करती हैं, शिव-पार्वती की पूजा! जानें व्रत का महत्व, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा विधि!

क्या है मधुमेह?

मधुमेह किसी विषाणु अथवा कीटाणु के कारण नहीं उत्पन्न होता है. दरअसल मनुष्य ऊर्जा के लिए भोजन करता है. भोजन पाचन की प्रक्रिया में भोजन स्टार्च में बदलता है, स्टार्च ग्लूकोज में बदलता है, जिन्हें सभी कोशिकाओं में पहुंचाया जाता है, जिससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है. इसके पश्चात ग्लूकोज को अन्य कोशिकाओं तक पहुंचाने का काम इंसुलिन का होता है, और तब मधुमेह रोगी के शरीर में इंसुलिन बंद अथवा कम हो जाता है, जिसकी वजह से शरीर में ग्लूकोज अथवा शक्कर की मात्रा ज्यादा हो जाती है.

डायबिटीज होने के कारण

अमूमन तो यह अनुवांशिक रोग माना जाता है, जो माता-पिता से विरासत में मिलती है. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, इंसुलिन की कमी, उच्च कोलेस्ट्रॉल अथवा सही समय पर खाना नहीं खाना. किसी तरह का तनाव, कम से कम शारीरिक श्रम करना एवं ड्रग्स आदि से भी यह रोग किसी को लग सकते हैं.

डायबिटीज (Diabetes) के लक्षण

ज्यादा भूख लगना

ज्यादा नींद आना

प्यास ज्यादा लगना

रुक-रुक कर बार-बार पेशाब जाना

देर से घाव भरना

शरीर के कुछ भागों में रह-रह कर झुनझुनी अथवा सुन्न होना

आँखों की रोशनी कम होना

जल्दी थकान होना

अचानक वजन कम होना

किसी भी चीज का जल्दी इन्फेक्शन होना

मधुमेह के घरेलु उपचार

चिकित्सकों का मानना है कि एक बार कोई मधुमेह से ग्रस्त हो जाता है, तो इसे पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है, लेकिन खान-पान आदि से इस पर नियंत्रण जरूर रखा जा सकता है. यहां जानेंगे कि मधुमेह के रोगियों को किन खाद्य-पदार्थों का सेवन करना लाभकारी साबित हो सकता है.

करेलाः करेला में ग्लूकोज की मात्रा नहीं के बराबर होती है. इसके नियमित सेवन से इंसुलिन की मात्रा बढ़ती है. करेला का जूस निकालकर इसें थोड़ा पानी मिलाकर प्रतिदिन खाली पेट इसका सेवन करना चाहिए.

तुलसी के पत्तेः तुलसी के पत्तों में शरीर से रक्त शर्करा कम करने की अद्भुत क्षमता होती है. इसके लिए तुलसी के पत्तों का रस निचोड़ कर निकालें और 2 चम्मच सुबह-सवेरे खाली पेट पानी के साथ सेवन करें.

मेथीः प्रतिदिन खाली पेट मेथी के 10-15 दाने पानी के साथ निगल जायें अथवा एक प्याला पानी में मेथी के दो चम्मच दाने रात भर के लिए भिगोयें. अगली सुबह इसके पानी को पी लें, तथा भिगोये हुए दानों का खा लें. मधुमेह कभी भी अनियंत्रित नहीं होगा.

आंवलाः आंवले में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है, जो मधुमेह पर आश्चर्यजनक तरीके से नियंत्रित करता है. प्रतिदिन 2 या 3 आंवले को पीसकर पेस्ट बना लें. इसका रस निकालें और सुबह दो चम्मच जूस को एक प्याला पानी में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें.

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