शो-रूम में रखी घड़ियों की सूइयां अकसर 10.10 का समय क्यों दर्शाती हैं? जानें क्या-क्या हैं मिथक? और क्या है फैक्ट!
विश्व प्रसिद्ध टाइमेक्स एवं रोलेक्स शुरुआत में जब शो रूम में रखी जाती थीं तब उनमें 8.20 का समय दर्शाया जाता था, ताकि कस्टमर ऊपर अंकित घड़ियों के निर्माता का नाम आसानी से देख सकें. लेकिन बाद में सूइयों की दशा दिशा बदल दी गई, क्योंकि घड़ी निर्माताओं को 8.20 के समय में उदासी के भाव दिखते थे, जो नकारात्मकता का संकेत माना जाता था.
क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि दुनिया भर की घड़ियों के शो-रूम में रखी या विज्ञापनों में दिखाई जाने वाली घड़ियों में अमूमन 10.10 बजे का समय ही क्यों दर्शाया जाता है? इस संदर्भ में तमाम मिथक प्रचलित हैं. आइये देखें इसके पीछे फैक्ट क्या और क्यों हो सकता है. भूखी बकरी ने पेड़ से पत्तियां तोड़ने के लिए लगाई गजब की तरकीब, भैंस के ऊपर चढ़कर ऐसे मिटाई अपनी भूख (Watch Viral Video)
* विश्व प्रसिद्ध टाइमेक्स (Timex) एवं रोलेक्स (Timex) शुरुआत में जब शो रूम में रखी जाती थीं तब उनमें 8.20 का समय दर्शाया जाता था, ताकि कस्टमर ऊपर अंकित घड़ियों के निर्माता का नाम आसानी से देख सकें. लेकिन बाद में सूइयों की दशा दिशा बदल दी गई, क्योंकि घड़ी निर्माताओं को 8.20 के समय में उदासी के भाव दिखते थे, जो नकारात्मकता का संकेत माना जाता था. उन्होंने उदासी के भाव को प्रसन्नता में दर्शाने के नाम पर 10.10 का समय रखा, जिसे स्माइल का मैसेज जाता था. कहते हैं कि लोगों ने भी इसे सार्थक तरीके से स्वीकार किया.
* एक अन्य मिथक के अनुसार अमेरिका ने जापान के नागासाकी और हिरोशिमा शहरों पर ठीक 10.10 बजे परमाणु हमला किया था, जिसमें लाखों लोग हताहत हुए थे. कहा जाता है कि उन्हीं की स्मृति में ईश्वर को याद करते प्रतीक के रूप में घड़ी की सूइयां 10.10 में बदली गईं.
* एक धारणा यह भी दर्शाती है कि 12 के अंक के नीचे अंकित निर्माता का नाम है, वह घड़ी की सुइयों को दो बांह का प्रतीक मानते हुए बताता है कि इन घड़ियों को तकनीकी रूप से तैयार करने में दोनों बाहों (घड़ी की सूइयां) की विशेष भूमिका रही है.
* इस संदर्भ में ऐसा भी कहा जाता है कि क्लॉक स्टोर में डिस्पले के लिए रखी घड़ियों में जो समय दिखाया जाता है, वह मुस्कुराती हुई छवि दर्शाती है, जिसे सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है.
* 10.10 बजे सुई दिखाए जाने के पीछे एक आध्यात्मिक संकेत यह भी जाता है कि यह ईश्वर से दुआ मांगने का तरीका होता है कि -हे प्रभु हर किसी के समय को अच्छा और खुशनुमा बनाये रखो.
* कुछ लोग 10.10 के समय को अंग्रेजी का ‘V’ अक्षर मानते हुए वी फॉर विक्टरी के रूप में देखते हैं.
इस तरह शो रूम में टंगी घड़ियों में 10.10 बजाने के पीछे तमाम तरह के तर्क-कुतर्क प्रचलित हैं, मगर कोई भी तर्क प्रमाणिक नहीं है. इसे घड़ी कंपनियों की बिजनेस स्ट्रेटजी ही कहा जाना चाहिए.