Hindi Diwas 2022: कब और क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय हिंदी दिवस? क्यों हिंदी को नहीं मिला राष्ट्रभाषा का दर्जा? जानें हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस में फर्क!

विविध धर्म एवं भाषाई वाले भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर के दिन राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है. हिंदी प्रेमियों के लिए यह गर्व की बात हो सकती है कि भारत में सबसे ज्यादा प्रचलित भाषा हिंदी है. आंकड़ों की मानें तो वर्तमान में देश की लगभग 77 फीसदी जनसंख्या बोलचाल के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग करती है

Hindi Diwas 2020 Wishes (Photo Credits: File)

Hindi Diwas 2022: विविध धर्म एवं भाषाई वाले भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर के दिन राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है. हिंदी प्रेमियों के लिए यह गर्व की बात हो सकती है कि भारत में सबसे ज्यादा प्रचलित भाषा हिंदी है. आंकड़ों की मानें तो वर्तमान में देश की लगभग 77 फीसदी जनसंख्या बोलचाल के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग करती है, और उनके रोजगार का जरिया भी हिंदी ही है. लेकिन इसके बावजूद हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला. आज हिंदी दिवस पर हम बात करेंगे, हिंदी की महत्ता, इतिहास, सेलिब्रेशन औऱ आखिर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में कहां क्या अड़चनें आ रही हैं. यह भी पढ़े: World Hindi Diwas 2022 Messages: विश्व हिंदी दिवस पर ये मैसेजेस HD Images, WhatsApp Stickers, और GIF Greetings के जरिए भेजकर दें बधाई

क्या है हिंदी दिवस का इतिहास!

महात्मा गांधी ने 1918 में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी को राजभाषा बनाने की अपील करते हुए इसे जनमानस की भाषा बताया था. 1937 में नेहरूजी ने भी अपनी राय रखते हुए कहा था कि भारत भर में आधिकारिक रूप से संपर्क स्थापित करने के लिए एक भाषा का होना जरूरी है और हिन्दुस्तानी से अच्छी कोई और भाषा नहीं हो सकती. तब प्रत्युत्तर में गांधी ने भी कहा था कि बेहतर होगा कि अंग्रेजी के बजाय हिन्दुस्तानी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाया जाए क्योंकि यह हिंदू और मुसलमान, उत्तर और दक्षिण को जोड़ती है. लेकिन विभाजन ने कई सदस्यों के मन में इतनी चिढ़ और गुस्सा भर दिया कि हिन्दुस्तानी की मांग पीछे होती चली गई.

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 1949 में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया कि संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की अनुच्छेद 343 में वर्णित है. 14 सितंबर 1949 को जब यह निर्णय लिया गया, तब हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार राजेंद्र सिन्हा की 50 वीं वर्षगांठ मना रहा था. हिंदी दिवस के लिए इससे बेहतर तिथि और कुछ नहीं हो सकती थी. हालांकि हिंदी को राष्ट्रभाषा चुने जाने का गैर हिंदी भाषी राज्यों विरोध करना शुरू किया. तब हिंदी के साथ अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा. हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की बात ठंडे बस्ते में चली गई.

राष्ट्रीय हिंदी दिवस एवं विश्व हिंदी दिवस में फर्क?

विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में पहले तीन स्थानों पर क्रमशः अंग्रेजी, मंदारिन और स्पेनिश है, चौथे नंबर पर हिंदी आती है. हिंदी की उत्पत्ति के बारे में कहा जाता है कि हिंदी वस्तुतः वैदिक संस्कृत के प्रारंभिक रूप की प्रत्यक्ष वंशज है. 14 सितंबर को हम जो हिंदी दिवस मनाते हैं, वह हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में दर्शाता है, इसमें हम हिंदी के इतिहास, इसके महत्व, उपयोगिता आदि पर बात करते हैं, जबकि विश्व हिंदी दिवस सम्मेलन 10 जनवरी को मनाया जाता है, जो वस्तुतः हिंदी भाषा पर एक सम्मेलन के तौर पर मनाया जाता है, जिसका आयोजन दुनिया भर में कहीं पर भी किया जाता है.

हिंदी दिवस का उद्देश्य!

हिंदी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को हिंदी भाषा के विकास के संदर्भ में जागरूक करना, कि जब तक वे हिंदी का प्रयोग नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता. इसके लिए जरूरी है कि वे हिंदी का उपयोग नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता. हिंदी दिवस के दिन सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा जो साल भर हिंदी में विकास कार्य करता है और अपने कार्य में हिंदी का अच्छी तरह से उपयोग करता है, उसे पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया जाता है.

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