Vinayaka Chaturthi 2023: आज 5 योगों के संयोग में विनायक चतुर्थी की पूजा से मिटेंगे सारे विघ्न! जानें मुहूर्त एवं पूजा-विधि!

हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष के चौथे दिन विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष कार्तिक विनायक चतुर्थी का व्रत 16 नवंबर 2023, गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता एवं प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है.

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हिंदी पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष के चौथे दिन विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष कार्तिक विनायक चतुर्थी का व्रत 16 नवंबर 2023, गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन रिद्धि-सिद्धि के दाता एवं प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि कार्तिक विनायक चतुर्थी के दिन विधि-विधान से भगवान श्रीगणेश की पूजा करने से जातक के जीवन में शुभ-मंगल होता है, तथा संतान की चाहत रखने वालों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ज्योतिषाचार्य रविंद्र पांडेय के अनुसार इस वर्ष विनायक चतुर्थी पर कई शुभ योगों का निर्माण होने से इस दिन का विशेष महात्म्य बन रहा है. आइये जानते हैं कार्तिक विनायक चतुर्थी के महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा-विधि के बारे में...

विनायक चतुर्थी पूजा की मूल तिथि एवं शुभ मुहूर्त

कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी प्रारंभः 12.34 PM (16 नवंबर 2023, गुरुवार)

कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी समाप्तः 11.03 PM (17 नवंबर 2023, शुक्रवार)

विनायक चतुर्थी की पूजा चूंकि निशा काल में होती है, इसलिए विनायक चतुर्थी का व्रत 16 नवंबर 2023 को रखा जाएगा.

विनायक चतुर्थी पर बन रहे हैं 5 शुभ योग

आयुष्मान योग: सूर्योदय से 08.19 AM तक

सौभाग्य योग: 08.19 AM से देर रात तक

सर्वार्थ सिद्धि योग: 06.23 AM से 09.01 PM तक

अमृत सिद्धि योग: 06.23 AM से रात 09.01 PM तक

रवि योग: 06.23 से रात 09.01 PM तक

उपयुक्त सभी पांचों योगों में गणेशजी की पूजा करने से जीवन की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

चंद्रोदय कालः 09.41 AM

चंद्रास्त कालः 08.05 PM

धार्मिक कथाओं के अनुसार विनायक चतुर्थी का व्रत रखने वाले व्रतियों को इस रात चंद्र दर्शन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दिन चंद्रमा का दर्शन करने से झूठा कलंक लगता है. यह भी पढ़ें : Kartik Pooja 2023: कब है कार्तिक पूजा? जानें इसका महत्व, मुहूर्त एवं पूजा विधि!

पूजा विधि

कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करें. स्वच्छ वस्त्र धारण कर मंदिर की अच्छी तरह सफाई करें. अब मंदिर के समक्ष गंगाजल का आचमन कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें साथ ही अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें. अब पूजा मुहूर्त के अनुसार मंदिर के सामने एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर गंगाजल छिड़कें. पूजा से पूर्व पीले रंग का परिधान धारण करें. चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें, और धूप दीप प्रज्वलित करें, और निम्न मंत्र का 108 जाप करते हुए पंचोपचार विधि से पूजा की शुरुआत करें.

ॐ गं गणपतये नमो नम:

गणेश जी को दूर्वा, रोली, फूल, अबीर, सिंदूर, लाल चंदन आदि अर्पित करें. प्रसाद में मोदक, मौसमी फल अर्पित करें. गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में गणेश जी की आरती उतारें. मान्यतानुसार ऐसा करने से घर में सुख-शांत एवं समृद्धि आती है,

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