Tulsi Vivah 2019: जानें तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और पूजा करने की विधि, सभी मनोकामना होंगी पूर्ण
हिंदू धर्म में तुलसी को ना केवल औषधि के रूप में जाना जाता है बल्कि इसे पवित्र और पूजनीय भी माना जाता है. इसके अलावा आयुर्वेद में भी इसके कई स्वास्थ्यकारी गुण बताए गए हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी माता को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, जिनका विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से हुआ था. आइए जानते हैं तुलसी विवाह पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त और तिथि.
Tulsi Vivah 2019: हिंदू धर्म (Hindu Mythology) में तुलसी को न केवल औषधि के रूप में जाना जाता है बल्कि इसे पवित्र और पूजनीय भी माना जाता है. इसके अलावा आयुर्वेद में भी इसके कई स्वास्थ्यकारी गुण बताए गए हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी माता को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, जिनका विवाह भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के शालिग्राम स्वरूप से हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार शालिग्राम भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्री कृष्ण (Lord Krishna) का ही रूप हैं. तुलसी को विष्णु प्रिय कहा जाता है, इसलिए देव उठनी एकादशी के दिन जब भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं, तब सबसे पहले वह तुलसी की ही प्रार्थना सुनते हैं और इस दिन तुलसी-शालिग्राम विवाह को बहुत महत्व बताया जाता है.
ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) कराने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है और इससे कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं साथ ही अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन माता तुलसी का विवाह पूरे रीति रिवाज से किया जाता है. तुलसी को दुल्हन के रूप में सजाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि माता तुलसी का विवाह करने से आपके कई संकट दूर होते है. घर में सुख-शांति, वैभव, परिवार में खुशियां इन सबका आगमन होता है. आइए जानते हैं तुलसी विवाह पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त और तिथि.
तुलसी विवाह की तारीख, तिथि और शुभ मुहूर्त:-
तुलसी विवाह 9 नवंबर 2019 को है, कई स्थानों पर इसी दिन तुलसी विवाह की परंपरा है, लेकिन कई जगहों पर एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को तुलसी-शालिग्राम विवाह कराया जाता है.
द्वादशी तिथि आरंभ- दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से,
द्वादशी तिथि समाप्त- दोपहर 02 बजकर 39 मिनट तक.
तुलसी विवाह का इस विधि से करें पूजन:-
*तुलसी विवाह के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्म करें और साफ कपड़े पहनें.
*तुलसी विवाह के दिन तुलसी के पौधे को लाल चुनरी ओढ़ाए.
*इसके बाद माता तुलसी को सुंदर वस्त्र पहनाएं और दुल्हन जैसा श्रृंगार करें.
*इसके बाद शालिग्राम को स्थापित करें और ब्राह्मण (पंडित) से दोनों का पुरे रीती-रिवाज के साथ शादी कराएं.
*तुलसी और शालिग्राम के विवाह के बाद उनके सात फेरे कराएं और तुलसी जी की आरती गाएं.
तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व:-
पौराणिक कथाओं के अनुसार तुलसी विवाह कन्यादान करने के बराबर होता है और इसे करने से कई यज्ञों के समान पुण्य मिलता है. तुलसी को भगवन विष्णु प्रिया या हरि प्रिया कहा जाता है. तुलसी पूजा से घर में संपन्नता आती है तथा संतान योग्य बनती है. तुलसी विवाह में तुलसी के पौधे और विष्णु जी की मूर्ति या शालिग्राम पाषाण का पूर्ण वैदिक रूप से विवाह कराया जाता है. तुलसी विवाह के दिन घर के आंगन में गन्ने का मंडप बनाकर उसमें शालिग्राम को स्थापित किया जाता है और विधि-विधान से उनका विवाह तुलसी जी के साथ कराया जाता है. पूजन के बाद उनकी परिक्रमा की जाती है.
हिंदू धर्म के अनुसार जिन लोगों को कन्या नहीं है वो तुलसी विवाह करवाकर कन्यादान का फल प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही जिस घर में नियमित रूप से तुलसी की पूजा की जाती है उस घर में कभी धन-धान्य और ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है. इसलिए अपने खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए तुलसी-शालिग्राम का विवाह जरूर कराएं.