Toothbrush Turns 526 Years Old! जब हड्डी और सुअर के बालों से बना दुनिया का पहला टूथब्रश! जानें किस देश ने इस ब्रश को पेटेंट कराया था!
Toothbrush (img: Pixabay)

सुबह उठते ही हमारा पहला काम टूथ ब्रश से अपने दांतों की सफाई करना होता है. चिकित्सक भी मानते हैं कि दांतों की नियमित सफाई शरीर को स्वस्थ और सुंदर बनाता है. एक साधारण से टूथब्रश की इतनी असाधारण भूमिका को देखते हुए क्या आपको पता है कि इसकी खोज कब और किसने की थी. टूथब्रश की 526वीं वर्षगांठ पर आइये जानते हैं इसकी रोचक गाथा...

टूथब्रश का रोचक इतिहास

प्राप्त तथ्यों के अनुसार लगभग 3000-3500 ईसा पूर्व मनुष्य पेड़ की पतली टहनियों को चबाकर दांतों की सफाई करता था. आगे चलकर खुशबू वाली टहनियां का इस्तेमाल किया जाने लगा. इससे दांत साफ होने के साथ-साथ मुंह से दुर्गंध भी नहीं आती थी. लेकिन लगभग 526 साल पूर्व 26 जून 1498 को टहनियों की जगह ब्रश ने लिया, जब चीन के शासक होंगझी ने पहली बार हड्डी पर सुअर के गर्दन की बाल चिपकाकर दांतों का ब्रश बनाया. होंगझी ने अपने ब्रश का पेटेंट कराया. जल्दी ही इस विशेष टूथब्रश का चलन बढ़ा. बाद में हड्डी की जगह लकड़ी के हत्थे पर बाल लगाकर इसका इस्तेमाल किया गया. तब तक टूथपेस्ट नहीं बना था, लोग ब्रश पर मिट्टी, राख, अंडे के छिल्कों का पेस्ट अथवा नमक आदि लगाकर दांत साफ करते थे. यह भी पढ़ें : National Doctor’s Day 2024: 1 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस? जानें इसका इतिहास, महत्व एवं सेलिब्रेशन के तरीके!

साल 1690 में पहली बार एंथनी वुड नामक व्यक्ति ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि उसने एक व्यक्ति से टूथब्रश खरीदा था. बताया जाता है कि इसी समय टूथब्रश शब्द का पहली बार इस्तेमाल किया गया था. टूथब्रश के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए साल 1780 में विलियम एडिस ने बड़े पैमाने पर टूथब्रश बनाने का काम शुरू किया. मगर उन्होंने सुअर के बालों के बजाय घोड़े की पूंछ का इस्तेमाल किया. कहा जाता है कि यह आयडिया उन्हें एक मामले में जेल की सजा भुगतने के दरमियान आया था, क्योंकि उन दिनों जेल के कैदी मिट्टी और कोयले की राख से दांत साफ करते थे. जेल बाहर आने के बाद उन्होंने भारी संख्या में ब्रश बनाने का काम शुरू किया. आज भी उनके द्वारा शुरू किया विजडम टूथब्रश नामक कंपनी कार्यरत है.

साल 1844 में पहली बार तीन पंक्तियों वाला टूथ ब्रश का निर्माण हुआ. ब्रश की यह स्टाइल सालों साल चलती रही. साल 1935 में वालेस कैरोथर्स ने एक सुपर पॉलिमर बनाया, जिसे नायलॉन का नाम दिया गया. इसके बाद टूथब्रश में जानवरों के दांतों की जगह नायलॉन का प्रयोग किया जाने लगा. ब्रश की यह शैली लोगों को खूब पसंद आई. देखते ही देखते यह टूथब्रश पूरी दुनिया में छा गया. ज्यों-ज्यों तकनीकी विकास हुआ ब्रश के भी नये-नये स्वरूप इजाद हुए. 1960 के दशक में बाजार में इलेक्ट्रिक टूथब्रश बाजार में आया. आज हर साइज, तमाम शेप और मैटेरियल के अनुसार टूथब्रश उपलब्ध हैं. अब तो मेडिकल ट्रीटमेंट वाले

ब्रश भी बाजार में आ गये हैं.