Datta Jayanti 2018: आज है भगवान दत्त की जयंती, जानें पूजा की आसान विधि और शुभ मुहूर्त

भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीष मास की पूर्णिमा को हुआ था, इसलिए हर साल मार्गशीष महीने की पूर्णिमा को दत्त अथवा दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दत्तात्रेय भगवान में ईश्वर और गुरु दोनों ही रूप समाहित हैं, इसलिए उन्हें परब्रह्ममूर्ति सद्गुरु और श्रीगुरुदेवदत्त भी कहा जाता है.

दत्त जयंती 2018 (Photo credits: File Image)

Datta Jayanti 2018:  महा योगेश्वर नाम से विख्यात श्री दत्तात्रेय का जन्म त्रिदेव के प्रचलित विचारधारा के विलय के लिए हुआ था. हिंदू धर्म में भगवान ब्रह्मा (Brahma), विष्णु (Vishnu) और महेश (Mahesh) को त्रिदेव (Tridev) कहा जाता है, जिन्हें सर्वोच्च स्थान दिया गया है. इसलिए श्री दत्तात्रेय को त्रिदेव का स्वरूप भी माना जाता है. भगवान दत्तात्रेय महर्षि अत्रि और सती अनुसुइया की पुत्र थे. उनका जन्म मार्गशीष मास की पूर्णिमा को हुआ था, हर साल मार्गशीष महीने की पूर्णिमा को दत्त अथवा दत्तात्रेय जयंती और अन्नपूर्णा (Datta Jayanti) मनाई जाती है. आज 22 दिसंबर 2018 को दत्तात्रेय जयंती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इन्हें परब्रम्हामुर्ती, सद्गुरु, श्री गूरु देव दत्त, गुरु दत्तात्रेय और भगवान भी कहा जाता हैं.

दत्त भगवान की पूजा खास तौर पर महाराष्ट्र (Maharashtra) में की जाती है और इस साल दत्त जयंती 22 दिसंबर, शनिवार के दिन मनाई जाएगी. चलिए जानते हैं दत्त जयंती की आसान पूजा विधि और शुभ मुहूर्त.

पूजा की आसान विधि- 

इस मंत्र का करें जप- 

भगवान दत्त के नाम का जप करने से मन को शांति मिलती है. खासकर दत्त जयंती के खास मौके पर 1-2 घंटे तक दत्त भगवान के मंत्रों का जप करना फलदायी माना जाता है.

मंत्र- "श्री गुरु दत्तात्रेय नम:" और "ओम् श्री गुरुदेव दत्त."

पूजा का शुभ मुहूर्त-

इस बार मार्गशीष पूर्णिमा और दत्त जयंती शनिवार, 22 दिसंबर 2018 के दिन मनाई जाएगी.

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 22 दिसंबर, मध्यरात्रि 02:09 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्ति- 22 दिसंबर, रात 23: 18 बजे तक. यह भी पढ़ें: क्या है खरमास? इसके पीछे छुपा है बड़ा वैज्ञानिक कारण, जानें

गौरतलब है कि त्रिदेव के रूप में जन्में भगवान दत्तात्रेय को पुराणों के मुताबिक वैज्ञानिक माना जाता है. उनके कई गुरु थे, क्योंकि उनका मानना था कि व्यक्ति को जीवन में हर एक तत्व से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है.  दत्त भगवान की पूजा गुरु के रूप में की जाती है, क्योंकि उनके कई शिष्य भी हुए जिनमें परशुराम, स्वामी कार्तिकेय और प्रहलाद का नाम भी शामिल है.

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