Shree Vinayak Chaturthi 2022: क्यों बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है यह विनायक चतुर्थी? जानें तीन योग जो इस दिन को मंगलमय बना रहे हैं.
प्रत्येक वर्ष हिंदी पंचांग के अनुसार माह में दो चतुर्थी (विनायक एवं संकष्टी चतुर्थी) पड़ती है. चैत्र माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जानते हैं. ज्योतिषियों का मानना है कि इस बार विनायक चतुर्थी चैत्रीय नवरात्रि के मध्य में पड़ रही है, इसलिए इस दिन का महत्व द्विगुणित हो रहा है.
प्रत्येक वर्ष हिंदी पंचांग के अनुसार माह में दो चतुर्थी (विनायक एवं संकष्टी चतुर्थी) पड़ती है. चैत्र माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जानते हैं. ज्योतिषियों का मानना है कि इस बार विनायक चतुर्थी चैत्रीय नवरात्रि के मध्य में पड़ रही है, इसलिए इस दिन का महत्व द्विगुणित हो रहा है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष विनायक चतुर्थी 5 अप्रैल 2022, दिन मंगलवार को पड़ रही है. आइये जानें विनायक चतुर्थी का महत्व, तीन खास योगों का प्रभाव, पूजा-विधि एवं मुहूर्त क्या है.
विनायक चतुर्थी का महात्म्य!
विनायक चतुर्थी के दिन प्रथम पूज्य एवं शुभता के प्रतीक भगवान गणेशजी का व्रत एवं पूजा करने का विधान है, लेकिन इस वर्ष चैत्रीय विनायक चतुर्थी का महात्म्य इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण बताया जा रहा है क्योंकि भक्तों को शक्ति की देवी माता पार्वती एवं उनके पुत्र गणेशजी की पूजा एक साथ करने का सौभाग्य प्राप्त होगा. ज्योतिषियों के अनुसार जिस भक्त पर माँ भगवती एवं पुत्र गणेशजी का वरदहस्त होता है, उसके जीवन में कभी कोई कष्ट नहीं आता, तथा उसके कार्य में आनेवाले सारे संकट मिट जाते हैं. मां भगवती की कृपा से उसका घर धन-धान्य से भर जाता है, और जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह भी पढ़ें : Gangaur Teej 2022: सुहागन ही नहीं कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं गणगौर व्रत! जानें क्या है इस पर्व का महत्व, मुहूर्त, पूजा-विधि एवं पौराणिक कथा?
विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त!
विनायक चतुर्थी प्रारंभः 01.54 PM (04 अप्रैल 2022)
विनायक चतुर्थी समाप्तः 03.45 PM (05 अप्रैल 2022)
उदया तिथि 5 अप्रैल होने के कारण विनायक चतुर्थी 5 अप्रैल को ही मनाया जायेगा.
तीन योग जो बना रहे हैं विनायक चतुर्थी को खास!
चैत्र माह की इस विनायक चतुर्थी पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. यह योग प्रातः 06.07 बजे से 04.52 बजे तक होगा. इसी अवधि में रवि योग भी निर्मित हो रहा है. इसी दिन तीसरा, प्रीति योग प्रातः 08.00 तक रहेगा. उसके बाद आयुष्मान योग भी बनेगा. ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहों का इतना सुंदर संयोग मुश्किल से होता है, इसलिए इस दिन गणेश जी और माता भगवती की पूजा अवश्य करनी चाहिए. ये तीनों योग किसी भी मांगलिक कार्यों के लिए बहुत शुभ होते हैं.
पूजा-विधि!
विनायक चतुर्थी की पूजा दोपहर के समय करने का विधान है. इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात गणेश जी का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें, और मनोवांछित मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें. पूजास्थल पर गंगाजल छिड़ककर इसे शुद्ध करें. एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर इस पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें. अब धूप-दीप प्रज्जवलित कर गणेशजी का आह्वान करें. उन्हें पीला फूल, पीला चंदन, दूर्वा, अक्षत, रोली और मोदक अर्पित करें. गणेशजी को सिंदूर बेहद प्रिय है, इसलिए विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के समय गणेशजी को लाल रंग के सिंदूर का तिलक लगाएं और निम्न मंत्र का जाप करें.
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥ “
अंत में गणेशजी की आरती उतारें, तथा प्रसाद को लोगों में वितरित करें. ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें.