Shani Pradosh Vrat 2024: मासिक शिवरात्रि में बन रहा शनि प्रदोष का महासंयोग! जानें इसका महात्म्य, तिथि, मुहूर्त, महत्व एवं पूजा-विधि!

हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष आध्यात्मिक महत्व है. प्रत्येक माह दो प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष और शुक्ल प्रदोष) पड़ते हैं. इस साल अप्रैल माह में प्रदोष व्रत के साथ मासिक शिवरात्रि का महासंयोग भी बन रहा है.

Shani Pradosh Vrat 2024

हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष आध्यात्मिक महत्व है. प्रत्येक माह दो प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष और शुक्ल प्रदोष) पड़ते हैं. इस साल अप्रैल माह में प्रदोष व्रत के साथ मासिक शिवरात्रि का महासंयोग भी बन रहा है. शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं. इतने सारे महासंयोग काल में महादेव एवं देवी पार्वती की संयुक्त पूजा, रुद्राभिषेक इत्यादि करने से महादेव एवं पार्वतीजी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. जिससे घर-परिवार में नकारात्मक शक्तियां नष्ट होती हैं, जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है. निसंतानों को संतान सुख मिलता है. इस माह यह शनि प्रदोष 6 अप्रैल 2024 को पड़ रहा है. आइये जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की मूल तिथि, मुहूर्त, महत्व एवं पूजा विधि इत्यादि के बारे में विस्तार से..

शुक्र प्रदोष व्रत मूल तिथि और समय

चैत्र कृष्ण पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 10.19 AM (06 अप्रैल 2024) से

चैत्र कृष्ण पक्ष त्रयोदशी समाप्तः 06.53 AM (07 अप्रैल 2024) तक

यह पूजा प्रदोष काल में होने के कारण 6 अप्रैल 2024 को प्रदोष व्रत रखा जाएगा,

पूजा मुहूर्तः शाम 05.54 PM से 08.19 PM तक (08 अप्रैल 2024)

शनि प्रदोष व्रत एवं पूजा विधि

चैत्र त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर पूजा स्थल की सफाई करें. इस दिन होने के कारण इसे बहुत शुभ दिन माना जाता है. एक वेदी पर भगवान शिव एवं देवी पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें. अब गाय के घी का दीप प्रज्वलित करें. फूलों से सजाकर पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें. निकटतम शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें. पूरे दिन व्रत रखते हुए अगले दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर शिव-पार्वती का स्मरण कर व्रत का पारण करें. यह भी पढ़ें : Chhatrapati Shivaji Maharaj Punyatithi 2024 Messages In Marathi: शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि पर इन WhatsApp Stickers, HD Images, Wallpapers के जरिए करें उन्हें याद

शनि प्रदोष का महत्व

यह साल 2024 का पहला शनि प्रदोष व्रत होगा. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस पूरे दिन व्रत रखते हुए प्रदोष काल (संध्याकाल) में सच्ची आस्था एवं निष्ठा से भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से महादेव एवं माता पार्वती की विशिष्ठ कृपा से सारे कष्ट एवं पाप कट जाते हैं, सेहत अच्छी रहती है तथा पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है. साथ ही निसंतान दम्पत्ति को संतान सुख प्राप्त होता है चूंकि यह शनि प्रदोष का दिन है, इस दिन शिव एवं पार्वती देवी की उपासना करने से नौकरी में प्रमोशन अथवा व्यापार में भारी मुनाफा प्राप्त होता है.

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