Shani Jayanti 2022: शनि जयंती पर क्या कहता है स्कंद पुराण? जानें शनि की टेढ़ी नजर की जिम्मेदार उनकी पत्नी क्यों थीं? एक रोचक तथ्य!
हिंदू धर्मग्रंथों में शनि देव अपनी टेढ़ी नजर के लिए विख्यात हैं. इसलिए देवी, देवता अथवा दानव तक उन्हें रुष्ठ करने का साहस नहीं करते थे, क्योंकि शनि के रुष्ट होने का अर्थ है विनाश! इससे संबंधित एक प्रचलित कथा भी है. एक बार शनिदेव और लक्ष्मी जी में विवाद हो गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है? सच जानने के लिए दोनों बैकुंठ पहुंचे.
हिंदू धर्मग्रंथों में शनि देव अपनी टेढ़ी नजर के लिए विख्यात हैं. इसलिए देवी, देवता अथवा दानव तक उन्हें रुष्ठ करने का साहस नहीं करते थे, क्योंकि शनि के रुष्ट होने का अर्थ है विनाश! इससे संबंधित एक प्रचलित कथा भी है. एक बार शनिदेव और लक्ष्मी जी में विवाद हो गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है? सच जानने के लिए दोनों बैकुंठ पहुंचे. शनि और लक्ष्मी के सवाल पर विष्णु जी चौंक उठे. श्रीहरि संशय में पड़ गये, एक तरफ पत्नी लक्ष्मी तो दूसरी तरफ टेढ़ी दृष्टि वाले शनिदेव. काफी सोच समझ कर विष्णु जी ने जवाब दिया, आप दोनों ही श्रेष्ठ हैं, लक्ष्मी जी आते हुए अच्छी दिखती हैं और शनि जी जाते हुए. इस तरह कहकर विष्णु जी ने दोनों को खुश कर दिया. मगर एक सवाल स्पष्ट नहीं हुआ कि शनि की टेढ़ी नजर क्यों है. आज हम उनके जन्म एवं उनकी टेढ़ी नजरों पर बात करेंगे.
शनि देव का जन्म कैसे हुआ?
स्कंद पुराण के काशी खण्ड के अनुसार राजा दक्ष की बेटी संज्ञा का विवाह सूर्यदेव से हुआ. संज्ञा के गर्भ से वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना ने जन्म लिया. लेकिन संज्ञा को सूर्य का तेज सहन नहीं हो रहा था. वह तपोबल से सूर्य का तेज कम करने का निर्णय लेकर तपस्या के लिए चली गयी, लेकिन जाने से पूर्व उन्होंने अपने तप से हमशक्ल छाया को प्रकट किया और बच्चों को उसके पास छोड़ते हुए निर्देश दिया कि बच्चों का पालन-पोषण करते हुए नारी-धर्म का पालन करोगी. संज्ञा ने पिता दक्ष को सारी बातें बताई तो उन्होंने इसे अधर्म बताया. लेकिन अपने निर्णय पर अटल संज्ञा घोड़ी के रूप में वन जाकर तपस्या में लीन हो गई. संज्ञा निमित्त छाया को सूर्य के तेज का किंचित असर नहीं हुआ. सूर्य देव और छाया के समागम से मनु, शनि देव एवं भद्रा का जन्म हुआ. यह भी पढ़ें: Jawaharlal Nehru Death Anniversary: देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन से जुड़े 5 रोचक और प्रेरक प्रसंग
क्यों है शनि देव की टेढ़ी दृष्टि?
ब्रह्म पुराण के अनुसार शनि शिवजी के परम भक्त थे. शनि का विवाह चित्ररथ की कन्या दामिनी से हुआ. दामिनी परम तेजस्वी थीं. विवाह के पश्चात भी शनिदेव की शिवजी के प्रति भक्ति बनी रही. वे शिवजी की भक्ति में इतने लीन हो जाते थे कि अपनी पत्नी दामिनी को भी विस्मृति कर देते थे. एक रात शनि की पत्नी ऋतु स्नान कर संतान प्राप्ति की इच्छा से शनि के पास आई, लेकिन शनिदेव तब भी शिवजी की भक्ति में लीन थे. काफी समय से प्रतीक्षा करने के बाद दामिनी का ऋतुकाल निष्फल हो गया. आवेश में उन्होंने शनि देव को शाप दे दिया कि वह जिस पर भी नजर डालेंगे, वह नष्ट हो जायेगा. शिव-भक्ति से ध्यान हटने के बाद शनिदेव ने दामिनी को मनाने की कोशिश की, उन्हें भी अपनी गलती का अहसास हुआ. लेकिन अपने शॉप के प्रतिकार का सामर्थ्य उनमें नहीं था. कहते हैं कि इसके बाद से ही शनि की नजर टेढ़ी रहने लगी.