Sawan Month 2023: इस वर्ष 59 दिनों का सावन मास क्यों हो रहा है? जानें श्रावण के कितने सोमवार व्रत-पूजा रखें!
आचार्य भागवत के अनुसार इस वर्ष दो श्रावण मास में 8 सोमवार पड़ेंगे. सोमवार का व्रत रखने वाले भक्त को सभी सोमवार का व्रत-पूजा रखना होगा. पहला सोमवार 10 जुलाई और अंतिम सोमवार 28 अगस्त को है. श्रद्धालु श्रावण के सभी सोमवार को प्रातःकाल स्नान-ध्यान करें. श्रावण के सोमवार का व्रत एवं शिवजी की पूजा का संकल्प लें.
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष के दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु जब योग निद्रा में चले जाते हैं, तो उनकी अनुपस्थिति में भगवान शिव जगत के पालक की भूमिका का निर्वहन करते हैं. इसीलिए आषाढ़ के बाद श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित बताया जाता है. श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव का व्रत एवं विशेष पूजा का विधान है. बहुत से शिवभक्त श्रावण के सभी चार सोमवार को व्रत-अनुष्ठान का आयोजन करते हैं, लेकिन इस वर्ष चूंकि श्रावण मास 59 दिनों का हो रहा है, इसलिए इस बार भगवान शिव का आठों सोमवार व्रत एवं अनुष्ठान रखा जायेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण का सोमवार 10 जुलाई 2023 से 28 अगस्त 2023 को आठवां सोमवार व्रत एवं पूजन किया जाएगा. आइये जानते हैं श्रावण मास की पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त...
क्यों हो रहा है इस वर्ष दो माह का श्रावण
ज्योतिषाचार्य भागवत के अनुसार इस वर्ष अधिक मास लगने के कारण श्रावण का महीना दो माह यानी 59 दिनों तक रहेगा. इस तरह का योग पूरे 19 वर्षों के पश्चात बन रहा है. आचार्य के अनुसार श्रावण का महीना 4 जुलाई 2023 से शुरू होकर 31 अगस्त 2023 तक चलेगा. जबकि अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा.
श्रावण मास 2023 प्रारंभ तिथि
श्रावण मास कृष्ण पक्ष प्रारंभः 05.08 PM (03 जुलाई 2023, सोमवार)
श्रावण मास कृष्ण पक्ष समाप्तः 01.38 PM (04 जुलाई 2023, मंगलवार)
सोमवार (03 जुलाई, 2023) से श्रावण शुरू होने के बावजूद उदया तिथि के कारण पहला 3 नहीं 10 जुलाई 2023 को रखा जाएगा.
श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय माह क्यों माना जाता है?
शिव पुराण में श्रावण भगवान शिव के प्रिय मास के रूप में वर्णित है. एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा दक्ष की पुत्री सती ने अपने जीवन का त्याग कर वर्षों तक शापित जीवन जीया था. इसके बाद पर्वतराज हिमालय के घर में उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया. इसके बाद भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने श्रावण मास में कठोर तप किया. पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें श्रावण मास में ही दर्शन देते हुए उनकी सारी मनोकामनाओं पूरी होने का आशीर्वाद भी दिया. सती को खोने के बाद श्रावण मास में सती स्वरूपा पार्वती को पाकर भगवान शिव बहुत प्रसन्न हुए. यही वजह है कि अच्छा वर पाने के लिए कुंवारी लड़कियां श्रावण के सोमवार को कठिन व्रत रखते हुए शिवजी की पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं.
श्रावण के सोमवार की पूजा विधि
आचार्य भागवत के अनुसार इस वर्ष दो श्रावण मास में 8 सोमवार पड़ेंगे. सोमवार का व्रत रखने वाले भक्त को सभी सोमवार का व्रत-पूजा रखना होगा. पहला सोमवार 10 जुलाई और अंतिम सोमवार 28 अगस्त को है. श्रद्धालु श्रावण के सभी सोमवार को प्रातःकाल स्नान-ध्यान करें. श्रावण के सोमवार का व्रत एवं शिवजी की पूजा का संकल्प लें. स्वच्छ वस्त्र पहनकर शिव मंदिर में शिवलिंग पर दुग्ध-अभिषेक करें, अब बेल, बिल्व-पत्र, धतूरा, दूध से बनी मिठाई एवं फल अर्पित करें. इसके बाद भगवान शिव के इस मंत्र का 108 बार जाप करें.
‘ॐ नमः शिवाय’
अंत में शिव चालीसा का पाठ करें तथा शिवजी की आरती उतारने के बाद अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें. इस दिन नमक का सेवन वर्जित है. आचार्य के अनुसार श्रावण के सोमवारों को शिवजी की पूजा करने वाले जातक की भगवान शिव सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.