Savitribai Phule Quotes 2023: सावित्रीबाई फुले जयंती पर उनके ये महान विचार WhatsApp Stickers, HD Wallpapers के जरिए भेजकर दें शुभकामनाएं

सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका, आधुनिक नारीवादी और समाज सुधारक थीं. शिक्षा और साक्षरता के क्षेत्र में महिलाओं के उत्थान के लिए महिला शिक्षा को आगे बढ़ाने की उनमें क्रांतिकारी ज्वाला थी. वह अपने पति के साथ महिलाओं को शिक्षित करने के संघर्ष में सहयोगी थीं.

Savitribai Phule Quotes 2023 (Photo Credits: File Image)

Savitribai Phule Quotes 2023: सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका, आधुनिक नारीवादी और समाज सुधारक थीं. शिक्षा और साक्षरता के क्षेत्र में महिलाओं के उत्थान के लिए महिला शिक्षा को आगे बढ़ाने की उनमें क्रांतिकारी ज्वाला थी. वह अपने पति के साथ महिलाओं को शिक्षित करने के संघर्ष में सहयोगी थीं. उनकी जयंती उन सभी महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है जो इस पीढ़ी में शिक्षित हो रही हैं क्योंकि क्रांतिवीर सावित्रीबाई फुले ने आग की तरह शुरुआत की थी. यह भी पढ़ें: Savitribai Phule Jayanti 2023 Greetings: सावित्रीबाई फुले की जयंती पर ये ग्रीटिंग्स Wallpapers और HD Images के जरिए भेजकर करें उन्हें याद

सावित्रीबाई फुले का जन्म 03 जनवरी, 1831 को नायगांव, महाराष्ट्र में हुआ था. वह कार्यकर्ता और समाज सुधारक ज्योतिराव फुले की बाल वधू थीं. उनके पति के समर्थन ने उन्हें पढ़ने, लिखने और लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल भिडे वाडा स्थापित करने के लिए प्रेरित किया, जिसे वर्ष 1848 में पुणे में स्थापित किया गया था. वे दोनों मानते थे कि शिक्षा दलित वर्ग और महिलाओं को शेष समाज के साथ समान रूप से खड़ा करने के लिए सशक्त बनाने का एकमात्र माध्यम है. उन्हें 'लैंगिक न्याय के योद्धा' के रूप में जाना जाता था. उन्होंने अहमदनगर और पुणे के नॉर्मल स्कूल में अमेरिकन मिशनरीज नामक संस्थान में अपना शिक्षण प्रशिक्षण पूरा किया.

1. स्वाभिमान से जीने के लिए पढ़ाई करो.

पाठशाला ही इंसानों का सच्चा गहना है

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2. सभ्य समाज का निर्माण कर सकती है

इसलिए तुम्हारा भी

शिक्षा का अधिकार होना चाहिए

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3. कब तक तुम गुलामी की

बेड़ियों में जकड़ी रहोगी

उठो और अपने

अधिकारों के लिए संघर्ष करो.

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4. बेटी के विवाह से पूर्व उसे

शिक्षित बनाओ ताकि

वह अच्छे बुरे में फर्क कर सके

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5. देश में स्त्री साक्षरता की भारी कमी है

क्योंकि यहां की स्त्रियों को

कभी बंधन मुक्त होने ही नहीं दिया गया.

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ऐसे समय में जब शिक्षा सीमित थी और सभी के लिए खोले जाने वाले बहुत कम मिशनरी स्कूल थे. 21 और 17 साल की उम्र में, ज्योतिबा और सावित्री दोनों ने 1848 में महिलाओं के लिए स्कूल खोले. भारतीयों द्वारा महिलाओं की शिक्षा के लिए स्कूल खोलने की यह पहली पहल थी. वर्ष 1849 में, ज्योतिबा और सावित्री ने अपना घर छोड़ दिया क्योंकि महिला शिक्षा के प्रति उनके काम को उनके अपने परिवार के सदस्यों द्वारा समाज के खिलाफ माना जाता था.

वे दोनों उस्मान शेख के घर में रुके जहाँ उनकी मुलाकात फातिमा बेगम शेख से हुई, जो भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिका थीं. फुले दंपति ने 1850 में दो शैक्षिक ट्रस्टों की शुरुआत की, यानी नेटिव फीमेल स्कूल, पुणे और द सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ द एजुकेशन ऑफ महार, मांग और एसेटेरस.

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