Rishi Panchami 2022: क्यों मनाते हैं ऋषि पंचमी? रजस्वला महिलाओं का इस पर्व से क्या संबंध है? जानें व्रत का महात्म्य, मुहूर्त, मंत्र एवं पूजा-विधि!

  प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष के पांचवें दिन ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन सप्त ऋषियों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है.

ऋषि पंचमी (Photo Credits: File Image)

प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष के पांचवें दिन ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन सप्त ऋषियों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है.

सनातन धर्म में आदि काल से ही ऋषि-मुनियों का बहुत सम्माननीय स्थान रहा है. राजा-महाराजा भी उनकी पूजा-अर्चना करते थे, उन्हें यथोचित सम्मान देते थे. भाद्रपद की पंचमी के दिन मनाया जाने वाला ऋषि पंचमी का पर्व सप्त ऋषियों को ही समर्पित होता है. ऋषि पंचमी को गुरू पंचमी के नाम से भी मनाया जाता है. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस दिन सप्त ऋषियों (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि एवं वसिष्ठ) की पूजा करने से जातक अपने सभी पाप कर्मों से मुक्ति पा जाता है. आइये जानें क्या है इस पर्व का महात्म्य, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त एवं मंत्र?

ऋषि पंचमी व्रत का महात्म्य!

सनातन धर्म के अनुसार ऋषि पंचमी के दिन सप्त ऋर्षियों के नाम व्रत एवं पूजा-अनुष्ठान किया जाता है. मान्यता है कि सप्त ऋषियों को पूजा-पाठ से प्रसन्न करने से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है. ऋषि पंचमी का सबसे बड़ा महात्म्य यह है कि इस दिन व्रत एवं पूजा  करने से अगर किसी स्त्री से मासिक धर्म (periods) के दरम्यान कोई भूल या गलती हो जाती है, तो इस व्रत को करने उसकी भूल अथवा गलती का दोष समाप्त हो सकता है. मान्यता है कि सुहागन स्त्रियां ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन करें, तो उन्हें मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं.

ऋषि पंचमी शुभ मुहूर्त!

पूजन के लिए शुभ मुहूर्तः 11.05 A.M. से 01.37 P.M. (01 सितंबर 2022) बजे तक.

ब्रह्ममुहूर्तः 04.29 A.M. से 05.14 A.M. (1 सितंबर 2022) तक

रवि योगः 05.58 A.M. से 12.12 P.M. (1 सितंबर 2022) बजे तक

अभिजित मुहूर्तः 11.55 A.M. से 12.46 P.M. (1 सितंबर 2022) तक

विजय मुहूर्तः 02.28 P.M. से 03.19 P.M. (1 सितंबर 2022) तक

ऋषि पंचमी की पूजा-विधि

ऋषि पंचमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर पूरे घर की साफ-सफाई करें. डाटावार्न नामक जड़ी-बूटी मिश्रित जल से स्नान करें. अब ऋषि पंचमी का उपवास एवं पूजा का संकल्प लें. मंदिर के सामने आसन पर बैठें. एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं. इस पर हल्दी एवं कुमकुम से चौकोर मंडल बनाएं. इस पर सप्तऋषि की रेखा-चित्र बनायें. इसके सामने धूप-दीप प्रज्वलित करें, और सप्त ऋषियों का आह्वान करते हुए निम्न मंत्र का जाप करें.

कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः

जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः

दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः

सप्त ऋषि के प्रतीक पर पंचामृत एवं गंगाजल का छिड़काव करें. सातों ऋषि को पीले चंदन का तिलक लगाएं. फूल और फूलों का हार अर्पित करें. जनेऊ एवं वस्त्र चढ़ाएं. तथा दूध से बनी मिठाई एवं मौसमी फल भोग के लिए रखें. सप्त ऋषि की आरती उतारकर पूजा का समापन करें. किसी एक ब्राह्मण को भोजन एवं दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करें.

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