Pitru Paksha 2020: श्राद्धपक्ष में क्यों लगाये जाते हैं पेड़-पौधे, जानें महत्व और उनसे जुड़े लाभ

श्राद्धपक्ष में क्यों लगाये जाते हैं पेड़ पौधे! जानें कौन सा पेड़ लगाने से देवी-देवताओं के साथ पितर भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. हरे-भरे पेड़ पौधे प्रकृति के संचालन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इससे पर्यावरण की तो रक्षा होती ही है साथ ही ये सकारात्मक ऊर्जा भी देते हैं.

श्राद्धपक्ष में क्यों लगाये जाते हैं पेड़-पौधे (Photo Credits: Facebook)

श्राद्ध पखवारे पर विशेष: श्राद्धपक्ष में क्यों लगाये जाते हैं पेड़ पौधे! जानें कौन सा पेड़ लगाने से देवी-देवताओं के साथ पितर भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. हरे-भरे पेड़ पौधे प्रकृति के संचालन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इससे पर्यावरण की तो रक्षा होती ही है साथ ही ये सकारात्मक ऊर्जा भी देते हैं. हिंदू धर्म में विभिन्न पेड़ों का संबंध किसी न किसी रूप से देवी-देवताओं के साथ भी होता है. इसीलिए माना जाता है कि श्राद्धपक्ष के दौरान पिण्डदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज के बाद ऐसे सकारात्मक ऊर्जा देनेवाले पेड़-पौधे लगाने से पितर प्रसन्न और संतुष्ट होकर विदा होते हैं, तथा आशीर्वाद देते हैं. तथा देवता भी प्रसन्न होते हैं. आइये जानें इस संदर्भ में किस पेड़ का क्या महात्म्य है.

पीपल का पेड़:

हमारे ज्योतिषाचार्य पंडित रवींद्र पाण्डेय के अनुसार हमारे धर्मग्रंथों में उल्लेखित है कि पीपल का पेड़ सबसे पवित्र पेड़ होता है. पीपल के वृक्ष में देवताओं और पितरों का वास होता है. इसलिए अंतिम संस्कार की प्रक्रिया जहां पीपल के पेड़ पर पूरी होती है, वहीं पीपल को जल अर्पित करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. पीपल के पेड़ पर तांबे के कलश में जल के साथ कुछ बूंदें दूध की और कुछ दाने तिल का मिलाकर चढ़ाना चाहिए. इससे देवताओं के साथ पितर भी संतुष्ट होते हैं.

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बरगद:

हिंदू धर्म शास्त्रों में बरगद के वृक्ष को दीर्घायु और मोक्ष देने वाला पवित्र पेड़ माना गया है. विष्णु पुराण में उल्लेखित है कि बरगद के पेड़ को साक्षी बनाकर माँ सीता ने राजा दशरथ के लिए पिंडदान और तर्पण किया था. मान्यता है कि अगर प्रतिदिन बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित कर उसकी परिक्रमा की जाये तो पितर प्रसन्न होते हैं.

बिल्वपत्र:

हिंदू मान्यताओं के अनुसार बिल्व पत्र के पेड़ में मां लक्ष्मी और इसके पत्तों पर विष्णु जी का वास होता है. भगवान विष्णु की पूजा से पितर प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा भगवान शिव को भी विल्वपत्र बहुत पसंद है. प्रतिदिन शिवलिंग पर गंगाजल के साथ बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी बहुत प्रसन्न होते हैं. इसलिए श्राद्ध के दिन बिल्वपत्र का पेड़ लगाने से पितर संतुष्ट होते हैं.

तुलसी:

तुलसी का पौधा सभी पौधों में श्रेष्ठ माना जाता है. घर के बाहर तुलसी का पौधा लगाने से जहां घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है, वहीं नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पातीं. उपचार के लिए भी तुलसी की बड़ी मान्यता है. श्राद्धपक्ष में तुलसी का एक पौधा लगाने और उस पर जल चढ़ाने से पितर बहुत प्रसन्न होते हैं.

अशोक:

अशोक का पेड़ भी बहुत शुभ और सकारात्मक ऊर्जा को मुख्य स्त्रोत माना जाता है. इस वृक्ष में भी भगवान विष्णु का वास बताया जाता है. इसलिए श्राद्ध पखवारे में किसी भी दिन इसका एक पेड़ को लगाने और इसकी पूजा करने से पितृ देवता संतुष्ट और प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.

जानें मृत सदस्यों के लिए कौन-सा पेड़ लगाना चाहिए

आंवलाः

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार आंवले के पेड़ का भी बहुत महत्व है, क्योंकि आंवला के पेड़ पर भगवान विष्णु एवं शिवजी का वास होता है, इसीलिए श्राद्ध पखवारे में आंवले का पेड़ लगाने से पितर प्रसन्न होते हैं.

किस मृत सदस्यों के नाम कौन सा पेड़ लगायें

स्वर्गीय माता, दादी, परदादी के नाम पर पलाश पारस, पीपल, चंदन का पेड़ और पिता, दादा, परदादा के नाम पर बिल्वपत्र, पीपल, बरगद अथवा आंवले का पेड़ लगाया जा सकता है. दुर्घटना में मृत लोगों के नाम पर पीपल, बरगद, नीम अथवा शमी का पेड़ लगाएं. कम उम्र में मृत बच्चों के नाम पर अमरूद, आम अथवा इमली का पेड़ लगाएं. कुंवारी लड़कियों के लिए आंवला, अनार अथवा अंजीर का पेड़ लगा सकते हैं. सुहागन स्त्री की मृत्यु के पश्चात उसके नाम पर अशोक, तुलसी अथवा सीताफल (शरीफा) का पेड़ लगाये जा सकते हैं.

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