Jagannath Rath Yatra 2022: क्यों मनाई जाती है जगन्नाथ रथयात्रा? जानें भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के 12 दिवसीय कार्यक्रम
पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में हर साल आषाढ़ माह में भव्य रथ यात्रा का आयोजन होता है (Photo: Wikimedia Commons)

Jagannath Rath Yatra 2022: भगवान जगन्नाथ की स्मृति में निकाली जाने वाली 'जगन्नाथ रथ यात्रा' की दुनिया भर में बेसब्री से प्रतीक्षा रहती है. गौरतलब है कि हिंदू धर्म के चार प्रमुख धामों बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारका में से एक है जगन्नाथ पुरी. उड़ीसा स्थित जगन्नाथ मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो विष्णुदी के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित माना जाता है. जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमा स्थापित है. साल भर उनकी पूजा मंदिर के गर्भगृह में होती है. लेकिन आषाढ़ माह में उन्हें तीन विशाल एवं दिव्य रथों में 3 किमी की यात्रा करवाकर गुंडिचा मंदिर लाया जाता है. इन्हें भक्तगण स्वयं खींचते हैं. मान्यता अनुसार भगवान का रथ खींचने वाले भक्त को 100 यज्ञों के समान पुण्य-फल मिलता है. यह भी पढ़े: Snana Yatra 2022 Photos & Videos: पुरी में स्नान यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की तस्वीरें और वीडियो

दुनिया का सबसे भव्य एवं बड़ा रथयात्रा

आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया के दिन भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र एवं उनकी बहन सुभद्रा राजसी पोशाक में अपनी मौसी के घर के लिए प्रस्थान करते हैं. इस यात्रा की शुरुआत उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से प्रारंभ होती है. यह दुनिया का सबसे बड़ा रथयात्रा उत्सव माना जाता है. इस महोत्सव को देखने के लिए दुनिया भर के श्रद्धालु उड़ीसा आते हैं. परंपरानुसार यात्रा में तीन दिव्य रथों का इस्तेमाल होता है. सबसे आगे बलभद्र जी का रथ, उनके पीछे बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे जगन्नाथ का रथ होता है. इस वर्ष जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत 1 जुलाई 2022 से होगी औऱ विभिन्न चरणों में होते हुए 12 जुलाई को पूरी होगी.

क्यों मनाई जाती है यह रथयात्रा?

इस यात्रा को लेकर कई मान्यताएं हैं. पद्म पुराण के अनुसार एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन ने नगर देखने की इच्छा प्रकट की. तब भगवान जगन्नाथ एवं बलभद्र ने बहन सुभद्रा को रथ पर बिठाकर नगर भ्रमण कराने के साथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा भी ले गये, जहां वे 7 दिनों तक रहें. कहते हैं कि इसके बाद से ही रथयात्रा का चलन शुरु हुआ, जो आज भी जारी है, इस घटना का जिक्र नारद पुराण एवं ब्रह्म पुराण में भी है

जगन्नाथ रथ यात्रा महत्वपूर्ण अनुष्ठान

इस रथयात्रा कार्यक्रम की तैयारियां अक्षय तृतीया (इस बार 3 मई 2022) से शुरु हो जाती हैं. इसके बाद भगवान को 15 दिनों के लिए सर्दी-जुकाम एवं बुखार से पीड़ित बताया जाता है. उन्हें औषधि पिलाई जाती है. इस दरम्यान भगवान जगन्नाथ को चारपाई पर आराम करते हैं. इस 15 दिनों के अस्वस्थ काल में श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित रहता है. 15 दिनों के बाद जब वे पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं तो श्रद्धालुओं को जगन्नाथ पुरी मंदिर में दर्शन के लिए आमंत्रित किया जाता है. इस दिन को नेत्र उत्सव के नाम से जाना जाता है.

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत वैशाख मास की द्वितीया से होती हैं.

रथ यात्रा शेड्यूल!

01 जुलाई, शुक्रवार, 2022, गुंडिचा यात्रा (रथयात्रा प्रारंभ) मौसी के घर मिलने जाने की योजना होती है.

05 जुलाई, मंगलवार, 2022, हेरा पंचमीः (रथयात्रा के पहले दिन से पांचवें दिन तक गुंडिचा मंदिर में भगवान वास करते हैं)

08 जुलाई, शुक्रवार, 2022, संध्या दर्शनः (मान्यता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने 10 वर्षों तक श्रीहरि की पूजा के समान पुण्य मिलता है.)

09 जुलाई, शनिवार, 2022, बहुदा यात्राः (इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं बहन सुभद्रा की वापसी होती है, जिसे बहुदा यात्रा कहते हैं.)

10 जुलाई, रविवार, 2022 सुनाबेसा (जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद भगवान के शाही रूप की तैयारी की जाती है. सुनाबेसा वह रूप है, जिसे भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ धारण करते हैं,)

11 जुलाई, सोमवार, 2022, आधर पनाः (आषाढ़ शुक्ल द्वादशी के दिन देवताओं के रथ पर एक विशेष पेय चढ़ाया जाता है. इस पेय को ही आधार पना कहते हैं. यह दूध, पनीर, चीनी एवं मेवों से बनाया जाता है)

12 जुलाई, मंगलवार, 2022, नीलाद्री बीजे (पुरी की जगन्नाथ रथयात्रा के सबसे दिलचस्प अनुष्ठानों में एक है नीलाद्री बीजे.)