Gudi Padwa 2021: कब-क्यों-कैसे मनाते हैं गुड़ी पड़वा? जानें हिंदू धर्म में इसे नवसंवत्सर क्यों कहते हैं और कब है शुभ मुहूर्त
हैप्पी गुड़ी पड़वा (Photo Credits: File Image)

गुड़ी पड़वा: चैत्र मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा यानी पहले दिन गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) का पर्व बड़ी धूमधाम एवं परंपरागत तरीकों से मनाया जाता है. इसे युगादि भी कहते हैं. इसी दिन महाराष्ट्र एवं गोवा के लोग नववर्ष भी मनाते हैं, इसलिए गुड़ी पड़वा के दिन का महत्व बढ़ जाता है. इस वर्ष 13 अप्रैल 2021 दिन मंगलवार को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जायेगा.

गुड़ी पड़वा का महत्व!

चैत्र प्रतिपदा शुक्लपक्ष का दिन कई कारणों से महत्वपूर्ण है. ब्रह्म पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की थी. इसमें ब्रह्माजी द्वारा निर्मित सृष्टि के प्रमुख देवी-देवताओं, यक्ष-राक्षस, गंधर्व, ऋषि-मुनियों, नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों का ही नहीं, रोगों और उनके उपचारों तक का भी पूजन किया जाता है. इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है, इसीलिए इस तिथि को नवसंवत्सर भी कहते हैं. एक अन्य किंवदंती के अनुसार भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी के बाद इसी दिन श्रीराम का राज्याभिषेक समारोह मनाया गया था, इसी खुशी में लोग गुड़ी (ध्वज) फहराते हैं, जो वस्तुतः राक्षसराज रावण पर श्रीराम की जीत का प्रतीक स्वरूप है. इसी दिन से चैत्रीय नवरात्रि के नौ दिनों तक माँ दुर्गा की उपासना की जाती है.

क्या है गुड़ी?

यहां गुड़ी का आशय ध्वज से है, जिसे लंकाधिपति रावण पर श्रीराम के विजय स्वरूप फहराया जाता है. महाराष्ट्र एवं गोवा के लोग इस दिन अपने घरों के बाहर गुड़ी फहराते हैं. 3 से 4 फिट लंबी लकड़ी की छड़ी के एक छोर पर नये कपड़े का टुकड़ा लपेटें. इसमें नीम की पत्तियों से बनी माला और शक्कर कैंडी की माला बांधें. इस पर आम की पत्तियों या फूलों की माला पहनाते हैं. इसके ऊपर पीतल का कलश रखें. इसके पश्चात गुडी यानी ध्वज और कुमकुम लगाएं. इसके बाद भगवान ब्रह्मा की पूजा कर गुड़ी फहराई जाती है. गुड़ी फहराने के पश्चात भगवान विष्णु की पूजा का विधान है.ध्यान रहे गुड़ी को सूर्यास्त से पूर्व ही लगाना चाहिए. यह भी पढ़ें : Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू, जानें मां दुर्गा के नौ स्वरुप और पूजा के बारे में

गुडी के लिए प्रयुक्त सामग्री का आशय?

गुड़ी पर जो कुछ चीजें लगाई जाती हैं, उसके कुछ गूढ़ अर्थ हैं. मसलन नीम जीवन की कड़वी घटनाओं का प्रतीक है, वहीं शक्कर की कैंडी जीवन के सुखद घटनाओं को प्रतिबिंबित करता है.

गुड़ी पड़वा 2021 का शुभ मुहूर्त

प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल, प्रातः 08.00 बजे से शुरु

प्रतिपदा तिथि समाप्त 13 अप्रैल दिन 10.16 बजे तक