Bhadrakali Jayanti 2023: कौन हैं माँ भद्रकाली? जानें इनकी जयंती का महात्म्य, पूजा विधि एवं कथा!
ज्येष्ठ मास की दोनों एकादशी का विशेष महत्व है. खास कर कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी का, क्योंकि इसी दिन भद्रकाली जयंती भी मनाई जाती है. इस दिन माता काली के भद्रकाली स्वरूप की पूजा होती है.
ज्येष्ठ मास की दोनों एकादशी का विशेष महत्व है. खास कर कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी का, क्योंकि इसी दिन भद्रकाली जयंती भी मनाई जाती है. इस दिन माता काली के भद्रकाली स्वरूप की पूजा होती है. दक्षिण भारत में इस दिन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि मां भद्रकाली की विधि-विधान के साथ पूजा- अनुष्ठान करने से तमाम रोग, दोष, शोक एवं पाप नष्ट हो जाते हैं. ज्योतिष शास्त्रियों की मानें तो माँ भद्रकाली की पूजा के बहुत कड़े विधि-विधान हैं. इसलिए किसी जानकार पुरोहित के द्वारा ही यह पूजा सम्पन्न करवाना चाहिए. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 15 मई 2023 को भद्रकाली जयंती मनाई जाएगी. इसी दिन अपरा एकादशी और वृषभ संक्रांति भी मनाई जाएगी. आइये जाने क्या है भद्रकाली जयंती का महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा विधि? यह भी पढ़ें: Ganesh Sankashti Chaturthi 2023: कब है ज्येष्ठ मास संकष्टि चतुर्थी? जानें इसका महात्म्य, मंत्र, मुहूर्त एवं पूजा-विधि!
भद्रकाली जयंती का महात्म्य!
सनातन धर्म में माता काली की कई रूपों में पूजा होती है. उदाहरण स्वरूप अष्टकाली मातृकाली, महाकाली, भद्रकाली, दक्षिणा काली, श्मशान काली, श्यामा काली, और गुह्य काली. इन सभी काली के स्वरूपों की भिन्न-भिन्न तरीकों से पूजा होती है. यहां हम बात करेंगे मां भद्रकाली के महात्म्य की. पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ भद्रकाली की उत्पत्ति भगवान शिव की जटाओँ से हुई है. भद्रकाली का शाब्दिक अर्थ है, भद्र अर्थात अच्छी काली. माँ काली का यह रूप बहुत शांत एवं सौम्य है, और जातक की भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी सारी समस्याओं का अंत करती हैं, और उनकी कृपा से भक्त के जीवन में खुशियों एवं समृद्धि का आगमन होता है.
भद्रकाली जयंती तिथि एवं पूजा मुहूर्त!
एकादशी प्रारंभ: सुबह 02.46 AM (15 मई 2023) से
एकादशी समाप्त: सुबह 01.03 AM (16 मई 2023) तक
देवी भद्रकाली पूजा अनुष्ठान!
ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन प्रातकाल सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करें. तत्पश्चात माँ भद्रकाली का ध्यान करें और पूजा तथा व्रत का संकल्प लें. घर के मंदिर में पार्वती एवं शिव के सामने धूप-दीप प्रज्वलित करें. (क्योंकि अधिकांश घरों में माँ काली की तस्वीर लोग नहीं रखते) इसके साथ ही एकादशी की तिथि होने के कारण भगवान विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए. माँ को अबीर, गुलाल, लाल चंदन, कुमकुम, पीला सिंदूर, हल्दी, मेहंदी एवं लाल पुष्प अर्पित करें. अब निम्न मंत्र का सही उच्चारण के साथ 108 बार जाप करें.
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी,
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
इस दिन कन्या खिलाने का भी विधान है, ऐसा करने से माँ काली प्रसन्न होती हैं. इसके बाद सूर्यास्त के पश्चात व्रत का पारण करें.
भद्रकाली जयंती की पौराणिक कथा
एक बार डरिका नामक राक्षसी ने भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या करके अमरता का वरदान प्राप्त कर लिया. वरदान मिलने के पश्चात् डरिका ने लोगो को परेशान करना शुरू कर दिया. चारों ओर त्राहिमाम् त्राहिमाम् की पुकार होने लगी. भगवान शिव को जब इस बारे में पता चला, तो उन्होंने जगत में शांति के लिए देवी भद्रकाली को उस राक्षस का संहार करने के लिए कहा, और तब देवी भद्रकाली ने डारिका का संहार किया.