Shani Pradosh Vrat: शनि के बुरे प्रभावों से मुक्ति दिलाता है शनि प्रदोष व्रत, भगवान शिव होते हैं प्रसन्न

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव को दंडाधिकारी कहा जाता है और भगवान शिव शनिदेव के गुरु माने जाते हैं. यही वजह है भगवान शिव को शनि प्रदोष अत्यंत प्रिय है और इस दिन व्रत करने से शनिदेव भगवान शिव के भक्तों पर अपनी कृपा दिखाते हैं.

शनिदेव और भगवान शिव (File Image)

Shani Pradosh Vrat: त्रयोदशी (Trayodashi) यानी प्रदोष के व्रत (Pradosh Vrat) से भगवान शिव (Lord Shiva) बेहद प्रसन्न होते हैं. हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है. अलग-अलग दिन पड़ने के कारण प्रदोष व्रत को अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इसकी कथाएं भी दिन के अनुसार अलग-अलग हैं, लेकिन सोमवार और शनिवार के दिन पड़नेवाले प्रदोष को बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है. इस बार 2 फरवरी, शनिवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ रहा है, जिसे शनि प्रदोष (Shani Pradosh) कहा जाता है. मान्यता है कि शनि प्रदोष के दिन व्रत करने पर भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं और इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को शनि (Shani Dev) ग्रह के पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है.

मान्यता है कि रवि प्रदोष का व्रत करने से उपासक को आयु में वृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है, जबकि सोम प्रदोष करने से उपासक को अभिष्ट सिद्धि मिलती है और शनि प्रदोष का व्रत करने से पुत्र प्राप्ति होती है. इसके अलावा प्रदोष का व्रत करने से व्रती को सौ गायों के दान के बराबर का फल मिलता है. यह भी पढ़ें: शनि देव को नाराज कर सकती हैं आपकी ये 5 गलतियां, पूजा के दौरान रखें इन बातों का खास ख्याल

शनि की पीड़ा से मिलती है मुक्ति

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव को दंडाधिकारी कहा जाता है और भगवान शिव शनिदेव के गुरु माने जाते हैं. यही वजह है भगवान शिव को शनि प्रदोष अत्यंत प्रिय है और इस दिन व्रत करने से शनिदेव भगवान शिव के भक्तों पर अपनी कृपा दिखाते हैं और उन्हें अपने कोप से मुक्त रखते हैं.

शनि की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए शनि प्रदोष के दिन एक लोहे की कटोरी में तेल भरकर अपनी परछाईं देखें और यह तेल किसी को दान कर दें. इसके अलावा जल में काले तिल डालकर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से भी शनि दोष से छुटकारा मिलता है और धन संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं.

करें इस मंत्र का जप

शनि प्रदोष का व्रत करने वाले उपासकों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. उसके बाद 'अहमद्य महादेवस्य कृपाप्राप्त्यै शनिप्रदोषव्रतं करिष्ये' मंत्र बोलकर इस व्रत का संकल्प लेना चाहिए. फिर शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव का बेल पत्र, पुष्प, दूध, जल, धूप-दीप और चंदन से पूजन करना चाहिए. इसके बाद प्रदोष काल में विधि पूर्वक भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए. यह भी पढ़ें: Pradosh Vrat In Year 2019: भगवान शिव को समर्पित है प्रदोष व्रत, जानें साल 2019 में पड़नेवाली त्रयोदशी तिथियों की पूरी लिस्ट

कहा जाता है कि प्रदोष तिथि पर ही भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी की उत्पत्ति की थी. मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष तिथि को भगवान शिव शिवलिंग में साक्षात अवतरित होते हैं. इसलिए इस दिन जो भी सच्ची निष्ठा और श्रद्धा से उनका पूजन करता है उसके समस्त पाप दूर होते हैं और उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.

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