सदियों पुराने रीति-रिवाजों पर सवाल उठाना और उनके पीछे तर्क खोजना कई लोगों को ईशनिंदा जैसा लग सकता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदू शादी की पहली रात को दुल्हन एक लंबे गिलास केसर के दूध के साथ बेडरूम में क्यों प्रवेश करती है? इसके पीछे के तथ्य को अक्सर रीति-रिवाजों की चादर के नीचे लपेटा जाता है, लेकिन क्या इस परंपरा के पीछे कोई वास्तविक तर्क है? पहली रात केसर वाला दूध पीने की इस परंपरा के पीछे कुछ वास्तविक कारण यहां दिए गए हैं. यह भी पढ़ें: Reasons Why a Condom May Break: कंडोम के फटने के 6 कारण
दूध का ग्लास लेकर क्यों आती है दुल्हन: विवाह एक पवित्र संस्था है और ऐसे कई रीति-रिवाज हैं जो कई कारकों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं. ऐसा माना जाता है कि पहली रात सुखी वैवाहिक जीवन की नींव होती है. परंपराओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि एक गलास केसर दूध के साथ दांपत्य जीवन को अपनाने से रिश्ते में मिठास आती है.
दूध और केसर क्यों: कई हिंदू रीति-रिवाजों में अक्सर दूध और केसर का इस्तेमाल किया जाता है, खासकर दूध को शुभ माना जाता है और यही एक और कारण है कि शादी की पहली रात को दूध के मिश्रण का सेवन किया जाता है. लेकिन क्या पहली रात को दूध पीने के रिवाज में कर्मकांड की प्रासंगिकता के अलावा कुछ और भी है?
क्या होता है जब आप इस मिश्रण को पीते हैं: सदियों से केसर को कामोत्तेजक माना जाता रहा है और इसे ट्रिप्टोफैन युक्त दूध के साथ मिलाने से जीवन शक्ति में सुधार होता है और नवविवाहित जोड़े को तनाव मुक्त करने में मदद मिलती है. वैज्ञानिक रूप से, यह स्थापित किया गया है कि केसर में महान एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो मूड को ऊपर उठाने, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, स्ट्रेस कम करने और नियमित रूप से सेवन करने पर डिप्रेशन के शुरुआती लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं. हालांकि, पहली रात को इस मिश्रण को पीने के पीछे का तर्क यह है कि वैवाहिक जीवन को आराम और खुशहाली से शुरू किया जाए. यह भी पढ़ें: Ways to Compliment Your Man's Sex Skills: अपने आदमी के यौन कौशल की तारीफ करने के तरीके
इस अनुष्ठान की उत्पत्ति: प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, कामसूत्र में दूध के मिश्रण को पीने की अवधारणा पेश की गई है, यह माना जाता था कि संभोग से पहले कुछ मिश्रणों को पीने से सहनशक्ति में सुधार होता है और यौन ऊर्जा बढ़ती है. हालाँकि, उस समय एक ग्लास दूध में सौंफ का रस, शहद, चीनी, हल्दी, काली मिर्च और केसर, जैसे विभिन्न प्रकार के अतिरिक्त चीजें होती थीं. इन वर्षों में, विविधता के आधार पर अवयवों को जोड़ना भले ही बदल गया हो, लेकिन परंपरा अभी भी मौजूद है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.