Rath Yatra 2024: कब और क्यों शुरू हुई रथयात्रा? जानें कुछ रोचक एवं आध्यात्मिक कहानियां!

विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा से जुड़ी तमाम रोचक कहानियां प्रचलित हैं. ये कहानियां विभिन्न धर्मग्रंथों, इतिहास और लोक कथाओं में मिलती हैं. जगन्नाथपुरी में होने वाली यह रथ यात्रा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व है.

रथयात्रा (Photo Credits: Wikimedia commons)

विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा से जुड़ी तमाम रोचक कहानियां प्रचलित हैं. ये कहानियां विभिन्न धर्मग्रंथों, इतिहास और लोक कथाओं में मिलती हैं. जगन्नाथपुरी में होने वाली यह रथ यात्रा भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व है. प्रचलित कथा के अनुसार भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा की प्रतिमा तीन रथों पर स्थापित कर द्वारका से जगन्नाथपुरी लाई जाती है, इस रथ यात्रा में लाखों भक्त भगवान के रथ को खींचते हैं. आइये जानते हैं, इससे जुड़ी कुछ रोचक कहानियां….

मां रोहिणी ने कृष्ण, बलराम और सुभद्रा को गुंडिचा क्यों भेजा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार कृष्ण की रानियां मां रोहिणी से कहती हैं कि वह अपनी रासलीला की कहानियां सुनाएं, लेकिन माता रोहिणी सुभद्रा के सामने अपनी रासलीला की कहानियां सुनाने में संकोच करती हैं. वह कृष्ण और बलराम को बुलाकर आदेश देती हैं कि वह कुछ दिनों के लिए सुभद्रा को लेकर रानी गुंडिचा के पास चले जाएं. तभी वहां श्रीहरि भक्त देवर्षि नारद प्रकट होते हैं, और भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा को एक साथ देखकर प्रसन्न हो जाते हैं. वह भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं कि वह प्रत्येक वर्ष रथयात्रा के बहाने अपने भक्तों को दर्शन देते रहें, और जग का कल्याण करते रहें. भगवान श्रीकृष्ण नारद को वचन देते हैं कि प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की द्वितिया के दिन वह रथयात्रा करते हुए अपने भक्तों को दर्शन एवं आशीर्वाद देंगे. यह भी पढ़ें : World Chocolate Day 2024 Messages: हैप्पी वर्ल्ड चॉकलेट डे! शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Wishes, Shayaris, GIF Greetings और Photo SMS

एक सामाजिक उद्देश्य

एक अन्य कथा के अनुसार रानी गुंडिचा ने अपने पति राजा इंद्रद्युम्न के सामने प्रस्ताव रखा कि प्रत्येक वर्ष एक ऐसा धार्मिक आयोजन करवाएं, जिसमें अछूत, पापी, समाज के कमजोर लोग हिस्सा लें. और उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से ना रोका जाये. ताकि उन्हें भी भगवान का आशीर्वाद प्राप्त हो, और उन्हें भी मोक्ष की प्राप्ति हो, तब राजा इंद्रद्युम्न ने इस रथयात्रा का आयोजन शुरू करवाया, और भगवान श्रीकृष्ण से रथयात्रा में शामिल होने की प्रार्थना की. गुंडिचा यात्रा का नाम रानी गुंडिचा के नाम के कारण रखा गया.

मान्यता है कि रथ यात्रा जुलूस देखने या उसमें भाग लेने से ना केवल स्वर्गीय आशीर्वाद मिलता है, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति भी प्राप्त होती है. रथ यात्रा के दरमियान पूरे रास्ते भजन-कीर्तन और राजसी रथों के दर्शन से भक्तों के बीच गहरा समर्पण और सम्मान बढ़ता है.

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