रथ सप्तमी 2019: संतान और सेहत के लिए सूर्योपासना का पर्व, जानिए व्रत, पूजन विधि
सूर्य के उत्तरायण होने पर प्रकृति की असीम ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए तमाम विधान बनाए गए हैं. उन्ही में एक है ‘रथ या आरोग्य सप्तमी’. ग्रह नक्षत्रों पर विश्वास करने वालों के लिए रथ सप्तमी का बहुत महत्वपूर्ण होता है.
माघ माह के महत्वपूर्ण पर्वों में एक है 'रथ सप्तमी'. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माघ के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से सूर्य भगवान का जन्म हुआ था. इसलिए इस पर्व को सूर्य के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है. देश के अलग-अलग स्थानों पर यही पर्व ‘रथ सप्तमी’, ‘सूर्य जयंती’, ‘अचला सप्तमी’ अथवा ‘माघ सप्तमी’ के नाम से भी मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन उपवास और सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना करने से अच्छी सेहत और संतान की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे ‘आरोग्य सप्तमी’ और ‘पुत्र सप्तमी’ भी कहा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं, इसलिए इसको ‘रथ सप्तमी’भी कहते हैं.
सूर्य के उत्तरायण होने पर प्रकृति की असीम ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए तमाम विधान बनाए गए हैं. उन्ही में एक है ‘रथ या आरोग्य सप्तमी’. ग्रह नक्षत्रों पर विश्वास करने वालों के लिए रथ सप्तमी का बहुत महत्वपूर्ण होता है.
स्नान का महत्व
वस्तुतः माघ मास पूरी तरह स्नान प्रधान मास कहा जाता है. रथ सप्तमी के दिन सूर्योदय से पूर्व पूरे घर की साफ-सफाई करके किसी पवित्र सरोवर अथवा नदी मे स्नान करने करते हैं, सरोवर या नदी उपलब्ध नहीं हो तो घर पर ही स्वच्छ जल से स्नान किया जा सकता है. इस दिन स्नान का विशेष महत्व होने के कारण ही इसे ‘रथ सप्तमी स्नान’ भी कहते हैं. इस दिन स्नान कर सूर्योपासना करने से व्यक्ति सेहदमंद रहता है, कभी बीमार नहीं पड़ता.
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गायत्री मंत्र के जाप के साथ दान का प्रताप
स्नान के पश्चात सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. एक हाथ में कलश लेकर सूर्य भगवान को नमस्कार करते हुए धीरे-धीरे उऩ्हें जल अर्पण करते हैं. इसके पश्चात घी का दीपक लेकर कपूर, धूप बत्ती और लाल फूलों का अर्पण करते सूर्य की पूजा की जाती है. पूजा करते हुए अच्छे सेहत और दीर्घायु के लिए सूर्यदेव से प्रार्थना करनी चाहिए. कुछ लोग पूजा के दरम्यान गायत्री मंत्र का जाप भी करते हैं. पूजा सम्पन्न होने के पश्चात सामर्थ्यनुसार गरीबों को दान देना चाहिए.
किसे करना चाहिए व्रत
रथ सप्तमी का लाभ मुख्यतः अच्छे सेहत और संतान के लिए किया जाता है. लेकिन कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच राशि में हो, जिनका स्वास्थ्य लगातार खराब रहता है, जिनके बच्चे शैतान प्रवृत्ति की ओर बढ़ रहे हों, उनकी शिक्षा में बार-बार किसी तरह की बाधा उत्पन्न हो रही हो, अथवा कोई सरकारी नौकरी में जाना चाहता हो. इसके लिए विशेष पूजन-अर्चना की जाती है.
विशेष पूजा अर्चना
इसके लिए किसी पुरोहित से पूजा नहीं करवाकर स्वयं बताई गयी विधि के अनुसार पूजा अर्चना करनी चाहिए. स्नान-ध्यान करने के पश्चात सूर्य और पितृ को जल अर्पण करें. घर के मध्य या बाहर मुख्य द्वार के सामने सात रंगों की रंगोली बनाकर उस पर चार मुख वाला दीपक प्रज्वलित करें. इसके पश्चात सूर्य को ध्यान करके लाल पुष्प और मिष्ठान अर्पित करते हुए गायत्री मंत्र अथवा सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. पूजा सम्पन्न होने के पश्चात तांबे के लोटे में गुड़, तिल और गेहूं के साथ लाल वस्त्र का दान किसी ब्राह्मण को करें. इसके पश्चात परिवार के सभी लोग मिलकर अन्न जल ग्रहण करें.