Rajiv Gandhi Death Anniversary 2022: इंदिरा गांधी की तानाशाही राजनीति को बदलने का प्रयास भारी पड़ा युवा पीएम को! जानें राजीव गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक स्मृतियां!
राजीव गांधी (Photo Credits: File Image)

भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी की आज 31वीं पुण्यतिथि है. आज के ही दिन (21 मई 1991) को श्रीपेरंबदूर (तमिलनाडु) में चुनाव प्रचार के दौरान एक आत्मघाती महिला ने उनकी हत्या कर दी थी. माँ के तमाम दबावों के बावजूद राजीव राजनीति में आने की बजाय मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर रहे थे. राजनीतिक पचड़ों में फंसने के बजाय वे अपने सपने को ऊंची उड़ान देना चाहते थे, लेकिन संजय गांधी की एक हादसे में मृत्यु से दुखी माँ की इच्छा टाल नहीं सके. विपरीत परिस्थितियों में काम करते हुए उन्होंने भारत को विकास के मार्ग पर अग्रसर किया. लेकिन इससे पहले कि वे सपनों का भारत रचते, 47 साल की आयु में उनकी हत्या कर दी गई. राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर उनके जीवन की कुछ रोचक स्मृतियां.

पं. नेहरू ने क्यों रखा था नाम राजीव?

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को मुंबई में हुआ था. भारत को आजादी मिलने के समय वे मात्र तीन वर्ष के थे. राजीव गांधी का नामकरण उनके नाना पं. जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पत्नी कमला नेहरू की स्मृति में रखा था. कमला का आशय लक्ष्मी और राजीव यानी कमल. मान्यता है कि लक्ष्मी जी को कमल बहुत पसंद था, इसलिए माँ लक्ष्मी का एक नाम कमला भी है.

एंटीनिया अल्बिना माइनो उर्फ सोनिया गांधी से विवाह

दून स्कूल देहरादून में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद राजीव गांधी ने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (इंग्लैंड) में उच्च शिक्षा हासिल की. इसी दरम्यान अपनी क्लासफेलो इटली की रहने वाली एंटोनिया माइनो से मुलाकात हुई. पहले दोस्ती और फिर दांपत्य जीवन में प्रवेश की इच्छा से 1968 में राजीव गांधी ने इस विदेशी गर्लफ्रेंड से शादी की और उन्हें एक नया नाम दिया सोनिया गांधी. कालांतर में वे दो संतानों राहुल और प्रियंका के पिता बने.

राजनीति कभी नहीं आई रास!

विज्ञान-प्रेमी राजीव गांधी की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी. उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश किया, लेकिन किसी कारण यह कोर्स पूरा नहीं हुआ. भारत आकर उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा पास कर कमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल किया. 1970 में इंडियन एयरलाइंस की घरेलू उड़ानों के पायलट बन गये, लेकिन 1980 में एक एयर क्रैश में संजय गांधी के निधन से दुखी मां इंदिरा गांधी की मदद स्वरूप राजनीति में एंट्री लेनी पड़ी. संजय गांधी की सीट अमेठी (उप्र) से चुनाव जीतकर वे सांसद बने. उहापोह की अवस्था में राजनीति में कदम रखने के कुछ ही दिन बीते थे कि 31 अक्टूबर मां इंदिरा गांधी की हत्या हो गई. कांग्रेस पार्टी के दबाव में उन्हें देश के नेतृत्व की जिम्मेदारी लेनी पड़ी.

सोनिया राजीव प्रेम-कथा

राजीव एवं सोनिया की पहली मुलाकात कॉलेज के दिनों में इंग्लैंड के एक ग्रीक रेस्टोरेंट में हुई थी. संयोग से दोनों इसी रेस्टोरेंट में खाना खाने आते थे. सोनिया राजीव के खूबसूरत व्यक्तित्व, शांत एवं शालीन स्वभाव पर पहली ही नजर में मुग्ध हो गईं थी. इन दोनों का कॉमन फ्रेंड था क्रिस्टियन वॉन स्टालिज. लंदन में दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता फला-फूला और और शादी तक बात पहुंच गई. कहते हैं कि शुरु-शुरु में सोनिया के माता-पिता ने राजीव गांधी को रिजेक्ट कर दिया था. अंततः 1968 में दोनों परिवार की रजामंदी के बाद दिल्ली में वे विवाह सूत्र में बंध गये.

इस तरह पीएम बने राजीव!

31 अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी की उनके आवास पर उनके ही अंगरक्षकों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई. कांग्रेसी नेताओं ने राजीव गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाकर उन्हीं के नेतृत्व में साल 1984 का लोकसभा में चुनाव लड़ा. इंदिरा गांधी की सहानुभूति लहर कहें या राजीव गांधी की सौम्य कार्य शैली कांग्रेस को 542 में से 404 सीटों से प्रचंड बहुमत के साथ जीत मिली.

देश के लिए क्या किया राजीव गांधी ने?

* राजीव गांधी ने पंचायती राज की नींव रखी, ताकि आम आदमी की भागीदारी सत्ता में सीधा-सीधा हो. जो लंबे प्रोसेस के बाद 24 अप्रैल 1993 में लागू हुआ.

* राजीव गांधी को डिजिटल इंडिया का शिल्पकार, सूचना तकनीक व दूरसंचार का जनक माना जाता है. उन्होंने कंप्यूटर और फोन से पूरे भारत को जोड़ने के लिए मदद स्वरूप सूचना प्रौद्योगिकी के दिग्गज सैम पित्रोदा को भारत बुलाया. पित्रोदा ने सस्ते फोन की तकनीक उपलब्ध कराई.

* राजीव गांधी ने कंप्यूटर को आम लोगों तक पहुंचाने का बड़ा कदम उठाने के लिए इसका आयात शुल्क कम करवाया. भारतीय रेलवे में कम्प्यूटरीकृत टिकट जारी करने का काम उन्हीं के समय शुरू हुआ.

* शिक्षा की दिशा में आमूल परिवर्तन के लिए गांवों के बच्चों के लिए उन्होंने देश भर में नवोदय विद्यालय खोले. आज देश में कुल 661 नवोदय विद्यालय में छात्रों का जीवन संवर रहा है. ये आवासीय विद्यालय होते हैं. प्रवेश परीक्षा पास करने वाले छात्रों को इसमें एडमिशन मिलता है.

* राजीव गांधी ने शुरु से मतदाताओं की उम्र सीमा कम करने की बात कर रहे थे. अपने प्रधानमंत्रित्व काल में उन्होंने मतदाता की 21 वर्ष की आयु को 18 वर्ष करवाया. उनकी सोच थी कि जितने ज्यादा युवा मतदाता होंगे, देश को उतना ही युवा प्रतिनिधित्व मिलेगा, और देश तरक्की करेगा.

माँ की तानाशाही राजनीति को अलग सांचे में ढालने का क्या अंजाम हुआ?

माँ की हृदय विदारक मृत्यु के बाद राजीव गांधी ने उनकी तानाशाही छवि से अलग एक आम आदमी के नेता की छवि में गढ़ने की कोशिश की. इस प्रयास में वह प्रत्यक्ष रूप से लोगों से मिलते थे. इसके लिए उन्होंने सुरक्षा के प्रोटोकाल का कई बार उल्लंघन किया. जिसका नतीजा उन्हें 21 मई 1991 की रात पेरंबुदूर में 10.21 बजे अपनी जान देकर भुगतना पड़ा. जब एक लिट्टे आतंकी संगठन के आत्मघाती बम ने उनके चिथड़े उड़ा दिया गया. लेकिन राजीव गांधी ने अल्प समय में देश के विकास के लिए जो किया, उसकी प्रशंसा आज भी होती है.