Pitru Paksha 2025: शस्त्रादिहत पितृ श्राद्ध क्या है? जानें इसे कब और कैसे सम्पन्न किया जाता है! तथा इससे जुड़ी कुछ विशेष बातें!

हिंदू धर्म शास्त्रों में मृत दम्पतियों की आत्मा की शांति एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए श्राद्ध की विभिन्न विधाएं निहित हैं, जिसके तहत पितृ पक्ष के दौरान विभिन्न तरह कर्मकांड किये जाते हैं. इसी क्रम में जिनकी मृत्यु युद्ध अथवा किसी घटना के तहत किसी शस्त्र मसलन तलवार, बंदूक या किसी अन्य घातक धारदार हथियार से की गई हो, उसका श्राद्ध शस्त्रादिहत नियमों के तहत किया जाता है.

पितृ पक्ष 2025 (Photo Credits: File Image)

   हिंदू धर्म शास्त्रों में मृत दम्पतियों की आत्मा की शांति एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए श्राद्ध की विभिन्न विधाएं निहित हैं, जिसके तहत पितृ पक्ष के दौरान विभिन्न तरह कर्मकांड किये जाते हैं. इसी क्रम में जिनकी मृत्यु युद्ध अथवा किसी घटना के तहत किसी शस्त्र मसलन तलवार, बंदूक या किसी अन्य घातक धारदार हथियार से की गई हो, उसका श्राद्ध शस्त्रादिहत नियमों के तहत किया जाता है. यह श्राद्ध कर्म पितृपक्ष काल की चतुर्दशी (20 सितंबर 2025, शनिवार) के दिन करने की परंपरा है. इस दिन परिवार के लोग दिवंगत पितर को अन्न-जल और पिण्ड अर्पित करके उन्हें संतुष्ट एवं प्रसन्न करके किया जाता है, जिससे परिवार को सुख, शांति एवं समृद्धि प्राप्त होती है.

शस्त्रादिहत पितृ श्राद्ध की विधि:

आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन श्राद्धकर्ता स्नान-ध्यान कर शुद्ध होकर संकल्प लेते हैं कि वह शस्त्रादिहत पितृ के लिए शास्त्रानुसार तर्पण और श्राद्ध करते हैं. पिंडदान में तिलचावलजौदूधघी आदि से पिंड बनाए जाते हैं और मंत्रोच्चार के साथ उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है. जलतिल और कुशा आदि से पितरों को तर्पण दिया जाता है. शस्त्रादिहत पितरों के लिए निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. यह भी पढ़ें : Indira Ekadashi Vrat 2025: इंदिरा एकादशी का पारण और द्वादशी श्राद्ध एक साथ, जानें शुभ मुहूर्त और विधि

शस्त्रप्रहारोपगतानां प्रेतानां तर्पणं कुर्यामि.’

अर्थात जो पितर शस्त्र आदि के प्रहार से मारे गए हैंउनका मैं तर्पण करता हूँ.’

श्राद्ध कर्म के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराना और दक्षिणा देना आवश्यक होता है, इसलिए श्राद्ध कर्म के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराकर उन्हें अपने सामर्थ्यनुसार वस्त्र और दक्षिणा दें. अगर ब्राह्मण उपलब्ध न होंतो गायकुत्ताकौवा, और चींटी आदि को भोजन खिलाया जाता है.

शस्त्रादिहत श्राद्ध की कुछ विशेष बातें

* शस्त्रादिहत पितरों को प्रेत योनि में मानकर भी विशेष पूजा की जाती है यदि उनका ठीक से अंतिम संस्कार या श्राद्ध न हुआ हो तो.

* ऐसे पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति दिलाने के लिए यह श्राद्ध अत्यंत आवश्यक माना गया है.

* इनके लिए गंगा जलतीर्थ जलपंचगव्य आदि का प्रयोग करना श्रेष्ठ होता है.

Share Now

\