Nagula Chavithi and Vinayaki Chaturthi 2025: नागुला चविथी और विनायकी चतुर्थी के महासंयोग पर करें ये उपाय, ग्रहबाधा और ऋण से मिलेगी मुक्ति

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथी शनिवार को है. इस दिन विनायकी चतुर्थी और नागुला चविथी है. द्रिक पंचांग के अनुसार, शनिवर को सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेंगे. इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय सुबह 9 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 41 मिनट पर रहेगा. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नागुला चविथी मनाई जाती है. यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाई जाती है. मान्यता है कि यह पर्व उत्तर भारत के नागपंचमी के समान होता है, जिसमें नाग देवता की पूजा अर्चना की जाती है.

हिंदू धर्म में सर्पों को पूजनीय माना गया है और नागुला चविथी पूजन में बारह विशिष्ट नागों की पूजा की जाती है. यह पूजा नाग देवताओं को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है. इसी के साथ ही शनिवार को विनायकी चतुर्थी भी है, जिसे वरद विनायक चतुर्थी भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन जातक गणपति से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास भी रख सकते हैं. ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण हैं जिनका महत्व सदियों से मनुष्य को ज्ञात है. जिस मनुष्य के पास यह गुण हैं, वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनोवान्छित फल प्राप्त करता है. यह भी पढ़ें : Chhath Special Trains: छठ पूजा पर रेल यात्रियों को राहत! पूर्वोत्तर रेलवे चला रहा 22 स्पेशल ट्रेनें, गोरखपुर स्टेशन पर उमड़ी भारी भीड़

पराणों में विनायकी चतुर्थी का उल्लेख मिलता है. विनायकी व्रत की शुरुआत करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद पीले वस्त्र पहनकर पूजा स्थल को साफ करें. इसके बाद गजानन की प्रतिमा के सामने दुर्वा, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें और बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं. इनमें से 5 लड्डुओं का दान ब्राह्मणों को करें और 5 भगवान के चरणों में रखें और बाकी प्रसाद में वितरित करें. पूजन के समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, और संकटनाशक गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. 'ऊं गं गणपतये नमः' 'मंत्र का 108 बार जाप करें. शाम के समय गाय को हरी दूर्वा या गुड़ खिलाना शुभ माना जाता है. चतुर्थी की रात्रि को चंद्रमा को अर्घ देना अत्यंत शुभ माना जाता है. चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए "सिंहिका गर्भसंभूते चन्द्रमांडल सम्भवे. अर्घ्यं गृहाण शंखेन मम दोषं विनाशय॥" मंत्र बोलकर जल अर्पित करें. यदि संभव हो तो चतुर्थी का व्रत रखें, जिससे ग्रहबाधा और ऋण जैसे दोष शांत होते हैं.