Navratri 2022: आज छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा से वैवाहिक बाधाएं दूर होती हैं! जानें इनका महात्म्य, पूजा-विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं आरती!

आज अश्विन माह की नवरात्रि का छठा दिन है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा से वरदान पाकर खुद को अजेय समझते हुए महिषासुर ने तीनों लोकों में अत्याचार करने लगा. देवताओं को स्वर्ग से निकाल कर उस पर स्वयं कब्जा कर लिया

मां कात्यायनी (Photo Credits: File Image)

Navratri 2022: आज अश्विन माह की नवरात्रि का छठा दिन है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा से वरदान पाकर खुद को अजेय समझते हुए महिषासुर ने तीनों लोकों में अत्याचार करने लगा. देवताओं को स्वर्ग से निकाल कर उस पर स्वयं कब्जा कर लिया. तब मां दुर्गा महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में उनके घर पर पैदा हुईं. इससे उनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा. माँ कात्यायनी को युद्ध की देवी माना जाता है. सिंह की सवारी करने वाली माँ कात्यायनी की चार भुजाएं हैं. एक भुजा में तलवार, एक में कमल और दो भुजाएं वर-मुद्रा में होती हैं. मां कात्यायनी की पूजा गोधूली बेला में करनी चाहिए. आइए जानें, मां कात्यायनी की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं आरती के बारे में. यह भी पढ़े: Navratri 2022 Greetings for 6th Day Maa Katyayani Puja: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी के इन HD Images, Wallpapers, Photos के जरिए दें बधाई

मां कात्यायनी की पूजा का महात्म्य!

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आश्विन मास की छठवीं तिथि को माता कात्यायनी की पूरे विधि विधान से पूजा-अनुष्ठान करने से विवाह अथवा किसी मंगल कार्यों में आ रही बढ़ाएं मिट जाती हैं, इसके अलावा कुंडली में बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती है. मान्यता है कि देवी कात्यायनी को शहद अर्पित करने से सुंदर काया प्राप्त होती है, नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण होता है, शत्रु पराजित होते हैं.

मां कात्यायनी पूजा: तिथि और उनका पसंदीदा रंग

अश्विन शुक्लपक्ष की षष्ठी 30 सितंबर, शुक्रवार की रात 10.34 बजे शुरू होगी और अगले दिन 01 अक्टूबर 2022, दिन शनिवार की रात 08.46 बजे समाप्त हो जायेगी. माता कात्यायनी का पसंदीदा रंग ग्रे है, ग्रे रंग संतुलित भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इस दिन श्रद्धालु अगर पूरे दिन ग्रे कलर का परिधान पहनती हैं, और इसी रंग का वस्त्र पहन कर पूजा करती हैं. माँ कात्यायनी प्रसन्न होंगी.

देवी कात्यायनी की पूजा विधि

शरद नवरात्रि के छठे माँ कात्यायनी की पूजा अनुष्ठान का विधान है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत होकर माँ दुर्गा की छठी शक्ति स्वरूपा माता कात्यायनी का ध्यान करें. इसके बाद देवी को पीला फूल, अक्षत्, धूप, इत्र, कुमकुम आदि अर्पित करें. भोग में शहद चढ़ाएं. ध्यान रखें कि माँ को शहद चढ़ाने आर्थिक संकट दूर होते हैं, यश और समृद्धि बढ़ती है. घर में विवाह संबंधी बाधाएं आ रही हैं तो पीला फूल एवं खड़ी हल्दी देवी को अवश्य चढ़ाएं. अब माता कात्यायनी के निम्न मंत्र का जाप करें.

देवी कात्यायनी का पूजा मंत्र

मां देवी कात्यायन्यै नमः

पूजा के अंत में माँ की आरती उतारें, और प्रसाद वितरित करें.

देवी कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी, जय जग माता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा, वहां वरदाती नाम पुकारा।।

कई नाम हैं, कई धाम हैं, यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी, कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते, हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की, ग्रंथि काटे मोह माया की।।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली, अपना नाम जपाने वाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो, ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

हर संकट को दूर करेगी, भंडारे भरपूर करेगी।।

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