Mahashivratri 2025: शिवलिंग पर गलत तरीके से बेल-पत्र चढ़ाकर शिवजी के प्रकोप से बचें! जानें बेल-पत्र चढ़ाने के नियम और कारण!

  हिंदू धर्म शास्त्रों में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है, इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती के पूजा-अनुष्ठान का विधान है. इस दिन शिव-मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ एकत्र होती है. महाशिवरात्रि पर भक्त विभिन्न वस्तुओं से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं, इसमें सबसे महत्वपूर्ण है बेल-पत्र. हिंदू पंचांगों के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी 2025, बुधवार को मनाया जाएगा. यहां हम जानेंगे कि शिवलिंग पर बेल पत्र क्यों और कैसे चढ़ाया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि गलत तरीके से शिवलिंग पर बेल पत्र चढ़ाने से भगवान शिव रुष्ठ हो सकते हैं.

क्यों चढ़ाया जाता है शिवलिंग पर बेल-पत्र?

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार बेल पत्र के तीन पत्ते भगवान शिव की तीन आंखें और सृष्टि के प्रमुख त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव) का प्रतीक होते हैं. शिवलिंग पर अभिषेक करते समय बेल-पत्र का चढ़ाना आवश्यक माना जाता है. शिवलिंग पर बेल-पत्र चढ़ाना भक्ति और शुद्धि के संकेत के रूप में देखा जाता है. यह प्रक्रिया अनिवार्य रूप से परमात्मा के साथ समर्पण और एकता का प्रतिनिधित्व करता है. यह भी पढ़ें : Mahashivratri 2025: कब मनाया जाएगा महाशिवरात्रि 26 या 27 फरवरी को? जानें सटीक मुहूर्त-तिथि, महाशिवरात्रि की तीन कथाएं एवं रात्रि पूजा का महत्व!

शिवलिंग पर कितने बेल-पत्र चढ़ाएं?

शिव मंदिर के पुजारियों के अनुसार शिवलिंग पर या बिल्वपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है. बहुत से लोग 11 भी पत्ते चढ़ाएं जाते हैं. बिल्व पत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते समय ध्यान रखें कि वह कही से कटी-फटा अथवा दाग-धब्बे वाला हो. मान्यता है कि खंडित बेल-पत्र चढ़ाने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता. अगर ताजा बेलपत्र नहीं मिल रहा है, तो शिवलिंग पर चढ़ा बेल-पत्र अच्छी तरह धोकर चढ़ाया जा सकता है. बिल्वपत्र चढ़ाते समय निम्न मंत्र का जाप जरूर करें

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।

त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।  

क्यों चढ़ाते हैं शिवलिंग पर बेल-पत्र

प्रतीकात्मक अर्थ: बेल-पत्र का त्रिपर्णीय आकार भगवान शिव की तीन आंखों को रेखांखित करता हैजो उनकी शक्ति और जागरूकता को दर्शाता है.

शीतल प्रभाव: वैज्ञानिकों के अनुसार बेल-पत्र में शीतलता का प्रभाव होता है, जो भगवान शिव के उग्र स्वभाव को शांत करता है. ऐसी ही एक पौराणिक कथा समुद्र-मंथन से जुड़ी है

पौराणिक संबंध: पौराणिक कथाओं के अनुसार बेल-पत्र की उत्पत्ति देवी पार्वती के पसीने की बूंदों से हुई हैजो इसे भगवान शिव से जोड़ता है.

शिवलिंग पर कैसे चढ़ाएं बिल्वपत्र?

शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने से पूर्व उसे स्वच्छ जल से धो लें. इसके बाद केसर या चंदन से इस पर 'लिखें. चिकने वाले हिस्से को शिवलिंग से स्पर्श करें. बिल्वपत्र का उभरा हिस्सा ऊपर होना चाहिए.  

शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने से आध्यात्मिक लाभ मिलता है. मान्यता है कि बिल्वपत्र से शिवलिंग का अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.

* महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने से महादेव प्रसन्न होते हैं, और साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं, तथा आर्थिक तंगी दूर होती है.  

* सभी पापों से छुटकारा मिलता है.  

* संतान सुख की प्राप्ति होती है.  

* मन को शांति मिलती है और जीवन में सफलता के रास्ते खुलते हैं.