Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या अंतर है? जानें इस संदर्भ में स्कंद पुराण एवं नारद संहिता क्या कहता है?
हिंदू धर्म शास्त्रों में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है. इस अवसर पर अकसर लोगों में यह भ्रम उत्पन्न होता है, कि प्रत्येक माह शिवरात्रि पड़ती है, तो फाल्गुन मास कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? आखिर क्या अंतर है, महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में? हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव देवी पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर विवाह रचाया था.
हिंदू धर्म शास्त्रों में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का विशेष महत्व बताया गया है. इस अवसर पर अकसर लोगों में यह भ्रम उत्पन्न होता है, कि प्रत्येक माह शिवरात्रि पड़ती है, तो फाल्गुन मास कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? आखिर क्या अंतर है, महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में? हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान शिव देवी पार्वती की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर विवाह रचाया था. मान्यता है कि इस पवित्र दिन में शिवजी का रुद्राभिषेक करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है. आज बात करेंगे कि प्रत्येक माह पड़ने वाली शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में मूलभूत अंतर क्या है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी 2023, शनिवार के दिन मनाया जायेगा.
महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या अंतर है?
गौरतलब है कि स्कंद पुराण में 4 मुख्य शिवरात्रियों का उल्लेख है
* नित्य शिवरात्रि
* मास शिवरात्रि
* माघ प्रथमादि शिवरात्रि
* महा शिवरात्रि
स्कंद पुराण के अनुसार नित्य शिवरात्रि पहली शिवरात्रि है, जो प्रतिदिन अर्थात हर रात मनाई जाती है. कई शिव-भक्त इस दिन शिव मंदिरों और ज्योतिर्लिंगों में जाते हैं. शिवरात्रि और महाशिवरात्रि अलग-अलग दिनों और महीनों में मनाई जाती है. आइए जानते हैं शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है. सबसे पहले बात करेंगे शिवरात्रि की.
शिवरात्रि का क्या महत्व है?
शास्त्रों के अनुसार सोमवार और प्रदोष का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन होता है.
प्रत्येक माह कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है. इसे प्रदोष के नाम से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग में बड़ी शिवरात्रि तब मनाई जाती है, जब श्रावण माह में प्रदोष पड़ता है. इस परिस्थिति में एक वर्ष में 12 शिवरात्रि पड़ती हैं.
स्कंद पुराण में संदर्भित श्लोक:
चतुर्द्दशी तथा शंभोः प्रिया नास्त्यत्र संशयः॥
निशीथसंयुता या तु कृष्णपक्षे चतुर्द्दशी॥
उपोष्या सा तिथिः श्रेष्ठा शिवसायुज्यकारिणी॥
शिवरात्रितिथिः ख्याता सर्वपापप्रणाशिनी॥
अत्रैवोदाहरंतीममितिहासं पुरातनम्॥
महाशिवरात्रि का महत्व!
माघ अथवा फाल्गुन मास कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि पड़ती है. इस दिन को देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में बड़ी धूमधाम से यह पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म का यह बहुत ही पवित्र त्यौहार है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के शुभ-विवाह की स्मृति स्वरूप मनाई जाती है. इसलिए यह दिन प्रत्येक शिव भक्त का खास दिन होता है.
नारदीय संहिता के अनुसार, महाशिवरात्रि निम्नानुसार मनाई जाती है:
माघेकृष्णेचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि, शिवलिंगतयॊद्भूतः कॊटिसूर्यसमप्रभः
माघेकृष्णेचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि, शिवलिंगतयॊद्भूतः कॊटिसूर्यसमप्रभः
अर्थात
माघ मास के कृष्ण पक्ष की 14वीं तिथि को महादेव ने स्वयं को शिवलिंग के रूप में प्रकट किया था, जो करोड़ों सूर्यों के समान दीप्तिमान था. इसलिए यह वह दिन है जब रुद्रम के जाप के साथ शिवलिंग पर अभिषेक के साथ शिवरात्रि मनाई जाती है.