Lt Gen Jagjit Singh Aurora 15th Death Anniversary: लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा, जिन्होंने लिखी थी 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत की कहानी
आज भारतीय सेना के (सेवानिवृत्त) लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा की 15 वीं मनाई जा रही है. उन्होंने 3 मई 2005 को 89 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली थी. लेफ्टिनेंट जनरल जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा भारतीय सेना की एक ऐसी शख्सियत रहे हैं, जिन्होंने पाकिस्तान को भारत के सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने ही 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत की कहानी लिखी थी.
Lt Gen Jagjit Singh Aurora 15th Death Anniversary: आज भारतीय सेना के (सेवानिवृत्त) लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा (Lieutenant General (Retd) Jagjit Singh Aurora) की 15 वीं पुण्यतिथि (15th death anniversary) मनाई जा रही है. उन्होंने 3 मई 2005 को 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली थी. लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा भारतीय सेना (Indian Army) की एक ऐसी शख्सियत रहे हैं, जिन्होंने पाकिस्तान (Pakistan) को भारत के सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने ही 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971 Indo-Pak war) में भारत की जीत की कहानी लिखी थी. लेफ्टिनेंट जनरल अरोडा ने पाकिस्तान सशस्त्र बल के पूर्वी सैन्य उच्च कमान के एकीकृत कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी (Lieutenant General Amir Abdullah Khan Niazi) को आत्मसमर्पण के लिए बिना किसी शर्त के हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया.
भारतीय सेना के इस अधिकारी ने पूर्वी पाकिस्तान में 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सेना के सैनिकों के आत्मसमर्पण की निगरानी की थी. 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान सेना के लेफ्टिनेंट जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी से आत्मसमर्पण कराने वाले लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा पर हर भारतीय को गर्व है. उनका जन्म 12 फरवरी 1916 को अविभाजित पंजाब के झेलम जिले (Jhelum district) के काला गुजरां (Kala Gujran) में हुआ था. यह भी पढ़ें: Vijay Diwas 2019: जब 1971 की जंग में भारत के सामने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने किया था आत्मसमर्पण और हुआ बांग्लादेश का जन्म, जानें भारतीय सैनिकों की यह वीरगाथा
लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा से जुड़े रोचक तथ्य
- जगजीत सिंह अरोड़ा ने 1939 में इंडियन मिलिट्री अकेडमी से ग्रेजुएशन किया था.
- लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा को पहली बटालियन, द्वितीय पंजाब रेजिमेंट की कमान सौंपी गई थी.
- साल 1971 में जब भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ तो वो जनरल कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) ईस्टर्न कमांड थे.
- भारत-पाक विभाजन के बाद अरोड़ा ने भारतीय सेना में शामिल होने का विकल्प चुना और 1947 के भारत-पाक युद्ध में एक कमीशन अधिकारी के रूप में भाग लिया.
- साल 1962 में उन्होंने सिनो-इंडियन वॉर में ब्रिगेडियर के रूप में लड़ाई लड़ी थी.
- 6 जून 1966 को अरोड़ा को लेफ्टिनेंट जनरल के एक्टिंग रैंक के साथ उप सेना प्रमुख (Deputy Chief of the Army Staff- (DCOAS) नियुक्त किया गया था. फिर उसी साल उन्हें अगस्त महीने में लेफ्टिनेंट जनरल रैंक पर पदोन्नत किया गया.
- 8 जून 1969 को उन्हें जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (GOC-in-C) ईस्टर्न कमांड नियुक्त किया गया.
- उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में भारतीय सेनाओं को संगठित किया और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ बांग्लादेश के निर्माण में नेतृत्व किया.
- लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा 1971 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के दौरान जनरल कमांडिंग-इन-चीफ (GOC-in-C) ईस्टर्न कमांड थे. यह भी पढ़ें: Kargil Vijay Diwas: अटलजी ने करगिल में पाकिस्तान को धूल चटाने के लिए इस मंदिर में करवाया था यज्ञ
अरोड़ा को युद्ध में उनकी भूमिका के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल और पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा 1973 में भारतीय सेना से रिटायर हुए थे. भारतीय सेना से रिटायर होने के बाद वे अकाली दल में शामिल हो गए और राज्य सभा में संसद सदस्य के रूप में सेवा की. उन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से सिख चरमपंथियों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम देने के लिए तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार की आलोचना की थी.