International Youth Day 2021: कब है अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस? जानें इतिहास, मकसद और भारत के संदर्भ में इसकी सार्थकता!
देश कोई भी हो, वहां का युवा ही उस देश और वहां के सामाजिक मूल्यों का प्रतीक होता है, जो गहन ऊर्जा और उच्च महत्वकांक्षाओं से लबरेज होता है, जो समाज और देशहित में इंद्रधनुषी सपने बुनता है, और उसे साकार करने के लिए अपना सब कुछ अर्पित कर देता है.
देश कोई भी हो, वहां का युवा ही उस देश और वहां के सामाजिक मूल्यों का प्रतीक होता है, जो गहन ऊर्जा और उच्च महत्वकांक्षाओं से लबरेज होता है, जो समाज और देशहित में इंद्रधनुषी सपने बुनता है, और उसे साकार करने के लिए अपना सब कुछ अर्पित कर देता है. संक्षिप्त में कहें तो समाज को बेहतर दिशा-दशा देने और राष्ट्र निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है. युवाओं में अक्षुण्य क्षमताओं का भंडार होता है. संभवतया इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए 12 अगस्त 2000 को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का फैसला किया गया होगा. आइये जानें अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के बारे में कुछ प्रेरक, रोचक एवं तथ्यपरक जानकारियां.
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का इतिहास:
राष्ट्र निर्माण में युवाओं की आवश्यक भागीदारी को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 17 दिसंबर 1999 को विश्व युवा सम्मेलन में की गई संस्तुतियों पर मोहर लगाते हुए 54 के मुकाबले 120 मतों से पास किया था, और निर्णय लिया गया कि 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जायेगा. इस तरह 12 अगस्त 2000 को पहली बार विश्व के अधिकांश देशों में अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया गया. इससे मिले प्रतिसाद को देखते हुए अन्य देशों ने भी विश्व युवा दिवस मनाने की पहल की. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 1985 में ही इंटरनेशनल यूथ ईयर की घोषणा कर दिया था.
क्या है मकसद?
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस का मुख्य मकसद है, उनकी योग्यता अनुरूप शिक्षा एवं रोजगार मुहैया कराना, ताकि देश के सतत विकास में उनकी भूमिका को सुनिश्चित किया जा सके. आज कोरोना काल में जब बेरोजगारी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है, इसका सबसे ज्यादा नुकसान युवा वर्ग को हो रहा है. युवाओं के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विकास और व्यक्तिगत पसंद की अहमियता को नजरंदाज नहीं किया जा सकता. अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस सेलीब्रेट करने का आशय यही है कि केंद्र एवं राज्य सरकारें युवाओं के मूलभूत मुद्दों, उनकी शिक्षा, उनके रोजगार जैसी बातों को गंभीरता से ले. युवाओं के विकास पर ही देश के विकास की परिकल्पना की जा सकती है. भारत के लिए इस दिवस की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि भारत में युवाओं का औसत विश्व में सबसे ज्यादा है. यह भी पढ़ें : Uttarakhand: CM पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मुलाकात में बन गई बात, देवभूमि को मिलेगी इन योजनाओं की सौगात
भारत में विश्व युवा दिवस की सार्थकता
भारत एक विकासशील और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है. यह युवाओं का देश है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में भी भारत की यही तस्वीर उभर कर आती है. रिपोर्ट के अनुसार यहां के लगभग 60 करोड़ लोग 25 से 30 वर्ष के हैं. और आनेवाले 20 से 25 सालों तक यही स्थिति रहने वाली है. अपनी युवा शक्ति के साथ भारत अर्थव्यवस्था में नई ऊंचाई पर जा सकता है, लेकिन यह तभी संभव होगा, जब भारत में बेरोजगारी से जूझ रहे युवा वर्ग की इस समस्या को दूर किया जाये.
भारतीय संख्यिकी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में बेरोजगारों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. वर्तमान में देश में बेरोजगारों की संख्या करीब 11.3 करोड़ से अधिक है. 15 से 60 वर्ष आयु के 74.8 करोड़ लोग बेरोजगार हैं, जो काम करने वाले लोगों की संख्या का 15 प्रतिशत है. जनगणना में बेरोजगारों को श्रेणीबद्ध करके गृहणियों, छात्रों और अन्य में शामिल किया गया है. यह अब तक बेरोजगारों की सबसे बड़ी संख्या है. वर्ष 2001 की जनगणना में जहां 23 प्रतिशत लोग बेरोजगार थे, वहीं 2011 की जनगणना में इनकी संख्या बढ़कर 28 प्रतिशत हो गई. बेरोजगार युवा हताश हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में युवा शक्ति का अनुचित उपयोग किया जा सकता है. हताश युवा अपराध के मार्ग पर चल पड़ते हैं. वे नशाख़ोरी के शिकार होकर अपराध भी कर बैठते हैं. दुर्भाग्यवश देश में हो रही 70 प्रतिशत आपराधिक गतिविधियों में युवाओं की संलिप्तता रहती है. कोरोना काल में केंद्र और राज्य सरकारें रोजगार और निजी व्यवसाय को जिस तरह गति देने की कोशिश कर रही है, वह प्रशंसनीयनीय तो है प्रयाप्त नहीं.