International Plastic Bag Free Day 2022: बेअसर हो रहे हैं प्लास्टिक पर प्रतिबंध! 1 जुलाई से कानून तोड़ने पर 1 लाख जुर्माना या 7 साल की हो सकती है कैद! आइये लें संकल्प प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करेंगे!

आज प्लास्टिक हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से इस कदर जुड़ चुका है कि इसे छोड़ने के सारे दावे खोखले साबित हो चुके हैं. यहां तक कि इसे जुड़े कानून भी कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. पानी पीने के बोतल से लेकर, दूध, तेल, घी, आटा, चावल, दालें, मसाले, कोल्ड ड्रिंक, शर्बत, स्नैक्स, दवाएं, कपड़े और वस्तुओं की पैकिंग प्लास्टिक के थैलों में धड़ल्ले से की जा रही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Twitter)

आज प्लास्टिक हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से इस कदर जुड़ चुका है कि इसे छोड़ने के सारे दावे खोखले साबित हो चुके हैं. यहां तक कि इसे जुड़े कानून भी कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. पानी पीने के बोतल से लेकर, दूध, तेल, घी, आटा, चावल, दालें, मसाले, कोल्ड ड्रिंक, शर्बत, स्नैक्स, दवाएं, कपड़े और वस्तुओं की पैकिंग प्लास्टिक के थैलों में धड़ल्ले से की जा रही है. यहां तक कि प्रत्येक वर्ष 3 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस की भी घोषणा की गई, ताकि लोग प्लास्टिक से होनेवाले खतरे को लेकर चैतन्य हों, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं पड़ता दिख रहा है. यहां हम एक बार पुनः प्लास्टिक से होने वाले नुकसान और इसके विकल्पों पर चर्चा करेंगे.

दुनिया भर में प्लास्टिक का बढ़ता प्रकोप

संयुक्त राष्ट्र संघ से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में हर एक मिनट में लगभग 10 लाख प्लास्टिक की बोतलें खरीदी जाती हैं, जबकि, 5 लाख करोड़ प्लास्टिक थैलियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. प्लास्टिक से बने आधे से ज्यादा प्रोडक्ट सिंगल यूज वाले होते हैं. इस तरह दुनिया भर में हर साल करीब 40 करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा इकट्ठा हो रहा है. इनमें से लगभग 20 करोड़ टन प्लास्टिक समुद्र में जा चुका है, और प्रत्येक वर्ष करीब 1.5 करोड़ टन प्लास्टिक का कचरा समुद्र में फेंका जाता है.

भारत के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार भारत में हर दिन 26 हजार टन प्लास्टिक कचरा निकलता है, जिसमें से सिर्फ 60 प्रतिशत इकट्ठे किये जाते हैं. शेष नदी-नालों में बहा दिये जाते हैं. बोर्ड के मुताबिक, भारत में प्रत्येक वर्ष 2.4 लाख टन सिंगल यूज प्लास्टिक निर्मित होता है. इस हिसाब से हर व्यक्ति हर साल 18 ग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा पैदा करता है.

कितने खतरनाक हो सकते हैं प्लास्टिक

प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हो रहे हैं. लेकिन इससे ज्यादा ये हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ज्ञात हो कि सिर्फ 5 प्रतिशत प्लास्टिक का रि-साइकिल किया जाता है, बाकी कूड़े-कचरे के रूप में नदी, समुद्र एवं तालाबों में जाकर नुकसान पहुंचाते हैं. रिसाइक्लिंग की प्रक्रिया से भी वातावरण में प्रदूषण बढ़ता है, क्योंकि रि-साइकिलिंग के दौरान पैदा होने वाले विषैले धुएं से वायु प्रदूषण फैलता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो प्लास्टिक प्रत्यक्ष रूप से नुकसानदायक नहीं होता. लेकिन प्लास्टिक के बने थैले तमाम नुकसानदेह रंगों, रंजकों एवं अन्य अकार्बनिक केमिकल्स से बने होते हैं. इसमें से कुछ केमिकल्स कैंसर को जन्म दे सकते हैं तो कुछ खाद्य-पदार्थों को विषैला बना सकते हैं. इसमें प्रयुक्त रंजक पदार्थों में कैडमियम होती है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह होती है.

प्लास्टिक मुक्ति के लिए लें ये संकल्प.

* सब्जी अथवा राशन लेने जायेंगे तो पहले की तरह कपड़े अथवा जूट से बने थैले साथ लेकर जायेंगे.

* प्लास्टिक के थैलियों वाले दूध को नहीं स्वीकारेंगे.

* परचून की दुकान वाले अगर खुला सामान लेते समय पेपर के बने थैलियों में सामान नहीं दें, तो बिना सामान लिए वापस आ जायेंगे.

* उन्हीं प्लास्टिक का उपयोग करेंगे, जो प्रशासन द्वारा मान्य डिग्रेडेबल हों.

* तेल, घी इत्यादि जो भी वस्तु पाउच में हो लेने से इंकार करेंगे और खुला तेल या घी लेकर आयेंगे.

* प्लास्टिक के थैले में सामान लेने वालों को इससे होने वाले नुकसान के संदर्भ में बताएं.

* प्लास्टिक की थैलियों पर लगे प्रतिबंधों एवं जुर्माने की बात लोगों को बताएं.

प्लास्टिक के इस्तेमाल पर हो सकता है 1 लाख रुपये का जुर्माना या 7 साल की कैद

सूत्रों के मुताबिक 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले कचरे को पर्यावरण के लिए हानिकारक माना गया है. ऐसे में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक से बने किसी भी आइटम को बेचने, बनाने या स्टॉक करने या इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा. प्रतिबंध का पालन नहीं किये जाने पर कानूनी कार्रवाई होगी. इसमें कानूनी एक्ट की धारा 15 के तहत जुर्माना या जेल जाना पड़ सकता है, जिसमें 7 साल तक की कैद और 1 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है.

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